रामनाथ कोविंद का ऐसा था एक साधारण परिवार से उठकर राष्ट्रपति बनने तक का सफ़र

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भारत के 14वें राष्ट्रपति रहे रामनाथ कोविंद का आज 1 अक्टूबर को अपना 77वां जन्मदिन मना रहे हैं। पूर्व प्रेसीडेंट कोविंद एक अत्यंत साधारण दलित परिवार से आते हैं। वह 20 जुलाई, 2017 को देश के राष्ट्रपति पद के लिए निर्वाचित हुए और इसी साल 25 जुलाई को तत्कालीन सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जे. एस. खेहर ने उन्हें भारत के राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई थी। कोविंद इससे पूर्व उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सदस्य चुने गए थे। उन्होंने बिहार के राज्यपाल पद को भी सुशोभित किया था। रामनाथ कोविंद पेशे से एक वकील रहे हैं। बतौर राष्ट्रपति उनका कार्यकाल 25 जुलाई, 2022 को पूरा हुआ। इस ख़ास मौके पर जानिए उनके जीवन के बारे में कुछ रोचक बातें…

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रामनाथ कोविंद का जीवन परिचय

देश के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का जन्म 1 अक्टूबर, 1945 को उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले स्थित परौंख गांव में हुआ था। उनके पिता मैकू लाल और माता कलावती थीं। कोविंद का संबंध कोरी या कोली दलित जाति है, जो यूपी में एससी वर्ग के अंतर्गत आती है। उन्हें बचपन में प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के बाद आगे पढ़ाई के लिए 8 किमी दूर कानपुर पैदल जाना पड़ता था। उन्होंने यहां बीएनएसडी इंटरमीडिएट कॉलेज में प्रवेश लिया और अपनी इंटरमीडिएट की परीक्षा भी यहीं से उत्तीर्ण की।

आगे कोविंद ने वाणिज्य में स्नातक की डिग्री और डीएवी कॉलेज (कानपुर विश्वविद्यालय से संबद्ध) से एलएलबी की डिग्री हासिल की। रामनाथ कोविंद की शादी 30 मई, 1974 को सविता कोविंद से हुईं। उनसे उन्हें एक बेटा प्रशांत और एक बेटी स्वाति है। कोविंद ने परौंख गांव का अपना पैतृक घर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को दान कर दिया।

Ramnath-Kovind-Family

वकालत में बनाया अपना करियर

लॉ की उपाधि हासिल करने के बाद रामनाथ कोविंद ने दिल्ली उच्च न्यायालय में वकालत का अभ्यास किया। कोविंद ने वर्ष 1971 में दिल्ली के बार काउंसिल में अपना नामांकन करवाया। वह वर्ष 1977 से वर्ष 1979 तक दिल्ली उच्च न्यायालय में केंद्र सरकार के वकील रहे। वर्ष 1977 और 1978 के बीच उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के निजी सहायक के रूप में भी काम किया। वर्ष 1978 में वह भारत के सर्वोच्च न्यायालय के एक वकील-ऑन-रिकॉर्ड बने और वर्ष 1980 से 1993 तक भारत के सर्वोच्च न्यायालय में केंद्र सरकार के लिए एक स्थायी वकील के रूप में कार्य किया। एक वकील के रूप में, उन्होंने नई दिल्ली के फ्री लीगल एड के तहत समाज के कमजोर वर्गों, महिलाओं और गरीबों को नि:शुल्क सहायता प्रदान की।

राम नाथ कोविंद का राजनीति सफर

पेशे से वकील रहे रामनाथ कोविंद वर्ष 1991 में भारतीय जनता पार्टी यानि भाजपा में शामिल हुए। उन्हें उत्तर प्रदेश से अप्रैल, 1994 में राज्यसभा सदस्य भेजा गया। उनकी इस पद पर सेवा को देखते हुए उन्हें दूसरी बार राज्यसभा सदस्य चुना गया। इस प्रकार राज्यसभा सदस्य के रूप में उनका कार्यकाल 12 वर्ष यानि वर्ष 2006 तक का रहा।

समाजसेवा में सक्रिय रहने वाले कोविंद भाजपा दलित मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और अखिल भारतीय कोली समाज के अध्यक्ष भी रहे हैं। वर्ष 1986 में दलित वर्ग के कानूनी सहायता ब्यूरो के महामंत्री भी रहे हैं। सदस्य के रूप में उन्होंने सांसद निधि से उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के विद्यालयों के भवनों का निर्माण कराया और ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में योगदान दिया। इस दौरान रामनाथ कोविंद थाईंलैंड, नेपाल, जर्मनी, पाकिस्तान, सिंगापुर, स्विट्जरलैंड, फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका के दौरे पर भी गए।

Kovind-and-Modi

वर्ष 2017 में बने थे भारत के 14वें राष्ट्रपति

वर्ष 2017 में एनडीए उम्मीदवार के तौर पर रामनाथ कोविंद ने 14वें राष्ट्रपति के पद के लिए अपना नामांकन किया। इससे पहले इन्होंने बिहार के राज्यपाल पद से इस्तीफा दे दिया था। कोविन्द ने 20 जुलाई, 2017 को घोषित हुए नतीजों में राष्ट्रपति चुनाव जीत लिया। विपक्ष ने इनके खिलाफ पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार को अपना उम्मीदवार बनाया था, लेकिन उन्हें करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा। इस चुनाव में रामनाथ कोविंद को कुल वैध मतों का 65.65 फीसदी प्राप्त हुआ और वह देश के 14वें राष्ट्रपति निर्वाचित हुए। 25 जुलाई, 2017 को इन्होंने राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी।

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