देशभक्ति की तरंग खुद-ब-खुद जाग उठती है जब हमारा तिरंगा झण्डा स्वच्छंद आकाश में लहराता दिख जाए। तिरंगा किसी भी देश के लोगों के लिए उनके स्वाभिमान व स्वतंत्रता का प्रतीक है। ऐसे में हमारा तिरंगा हमारी आजादी की पूरी कहानी कहता है। यह हमारे महान आजादी के दीवानों के त्याग, बलिदान एवं देशभक्ति को बयां करता है।
भारतीय राष्ट्रीय झण्डे में तीन रंग की पट्टियां है जिनका क्रम- सबसे उपर केसरिया, बीच में सफेद और सबसे नीचे गहरा हरा रंग होता है। इन रंगों का अपना अलग महत्त्व है केसरिया रंग त्याग व बलिदान का प्रतीक है, सफेद रंग शांति और पवित्रता का प्रतीक तथा हरा रंग उन्नति का प्रतीक है।
सफेद पट्टी में अशोक चक्र है जो सारनाथ स्तम्भ से लिया गया है। झण्डे की चौड़ाई और लंबाई का अनुपात क्रमशः 2:3 है।
भारतीय झण्डे का रोचक सफर
पहला झण्डा
भारत की आजादी के समय में पहली बार झण्डा 7 अगस्त, 1906 को कलकत्ता के पारसी बागान स्क्वायर में फहराया गया था। इस झण्डे में हरे, पीले और लाल रंगों की तीन पट्टियों का प्रयोग किया गया। झण्डे की मध्य की पट्टी में वंदेमातरम लिखा हुआ था। इस गीत की रचना बंकिमचन्द्र चटर्जी ने की थी। नीचे की पट्टी पर सूर्य और चन्द्रमा के सांकेतिक चिह्न बना हुआ था।
दूसरा झण्डा
दूसरे झण्डे को 1907 ई. में पेरिस में मैडम भीखाजी कामा (भारतीय क्रांति की जननी) और उनके साथ निर्वासित क्रांतिकारियों द्वारा फहराया गया था। यह झण्डा पहली बार बने झण्डे के समान ही था फर्क केवल इतना था कि इसमें सबसे उपर की पट्टी पर केवल एक कमल था किंतु सात तारे सप्तऋषि मण्डल को दर्शाते हैं।
इसमें हरे, पीले और नारंगी रंग की तीन पट्टियां थी। इस झण्डे की बीच की पट्टी पर भी देवनागरी लिपि में वंदेमातरम लिखा हुआ था। नीचे की पट्टी पर सूर्य और चांद का सांकेतिक चिन्ह बना हुआ था। इसे वीर सावरकर व अन्य क्रांतिकारियों ने बनाया था।
तीसरा झण्डा
इस भारतीय झण्डे को डॉ. एनी बेसेंट और लोकमान्य तिलक ने होमरूल आंदोलन के समय 1917 में फहराया था। इस झंडे में ऊपर की तरफ यूनियन जैक था। झण्डे में बिग डिपर या सप्तर्षि नक्षत्र और आधा चन्द्रमा और सितारा भी था।
चौथा झंडा
1916 में लेखक और भूभौतिकीविद् पिंगाली वेंकैया ने देश की एकजुटता के लिए एक झंडा डिजाइन किया था। इस झण्डे को डिजाइन करने से पहले उन्होंने महात्मा गांधी से अनुमति ली थी। गांधीजी ने उनको भारत का आर्थिक उत्थान दर्शाते हुए झंडे में चरखा शामिल करने की सलाह दी थी। गांधीजी ने इस झण्डे को 1921 में फहराया था। इसमें सबसे ऊपर सफेद, बीच में हरी और सबसे नीचे लाल रंग की पट्टियां थी। ये झंडा सभी समुदायों का प्रतीक माना जाता था।
पांचवां झंडा
1931 में भारतीय राष्ट्रीय ध्वज में ऐतिहासिक बदलाव किया गया था। कांग्रेस कमेटी बैठक में पास हुए एक प्रस्ताव में भारत के तिंरगे को मंजूरी मिली थी। इस तिरंगे में केसरिया रंग सबसे ऊपर, सफेद बीच में और सबसे नीचे हरे रंग की पट्टी थी। सफेद रंग की पट्टी पर नीले रंग का चरखा बना हुआ था।
छठा झंडा
आजाद भारत के लिए संविधान सभा ने इसी भारतीय झंडे को स्वीकार कर लिया था। हालांकि चरखे की जगह इसमें सम्राट अशोक के सारनाथ स्तम्भ से अशोग चक्र लिया गया था। यही झंडा 22 जुलाई, 1947 से भारत का राष्ट्रीय झण्डा बना।