सवालों से हर किसी को डर लगता है, लेकिन लगता है उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री को कोई भयंकर वाला फोबिया है। यूपी जंगलराज के नाम से प्रसिद्ध होने के बाद पत्रकारों के बद्तर हालातों के लिए खूब सुर्खियां बटोर रहा है।
कुछ दिन पहले पत्रकारों की गिरफ्तारी तो अब पत्रकारों को कमरे में बंद करना, यूपी में मीडिया के ऐसी दशा है कि लगता है वहां हर जगह यह नोटिस चस्पा होगा कि यहां सवाल पूछना मना है। अब पूरा मामला समझाते हैं।
30 जून, रविवार को यूपी के मुखिया योगी आदित्यनाथ मुरादाबाद पहुंचे जहां उनका सरकारी अस्पताल का जायजा लेने का प्रोग्राम था। अब सूबे का मुखिया स्वास्थ्य सुविधाओं का जायज़ा लेने आया है तो पत्रकार उनसे सवाल पूछने तो आएंगे ही। पत्रकार अस्पताल के इमरजेंसी वॉर्ड के पास के एक कमरे में इकट्ठे हो गए।
लेकिन जैसे ही योगी पहुंचे प्रशासन यानि डीएम और अन्य अधिकारियों ने पत्रकारों को उसी कमरे में बंद कर बाहर ताला जड़ दिया। जब तक योगी अस्पताल की सुविधाओं को देख रहे थे, तब तक पत्रकार कमरे के अंदर चिल्लाते रहे और दरवाजे-खिड़कियां पीटते रहे।
योगी के जाने के बाद हुआ खुल जा सिम-सिम
योगी ने अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड सहित कई जगहों का निरीक्षण किया और जब वो बाहर की ओर जाने लगे तब पत्रकारों को आजाद कर दिया गया। खूब हल्ला हुआ, सोशल मीडिया पर कई वीडियो वायरल हुए, लेकिन यह कोई नहीं जानता कि आखिर पत्रकारों को ताले में बंद क्यों किया गया था ?
प्रशासन की सफाई भी आई है
पूरी घटना का बवाल कटने के बाद डीएम राकेश कुमार सिंह सफाई देने पहुंचे। डीएम ने कहा मुख्यमंत्री के आने से काफी ज्यादा संख्या में वहां पत्रकार पहुंच गए थे जिसके कारण वहां मौजूद मरीजों को दिक्कत हो सकती थी। इसलिए हमनें पत्रकारों को बाहर ही रोक दिया।
बहरहाल इस घटना के बाद योगी सरकार की चौतरफा आलोचना हो रही है। प्रियंका गांधी समेत कई विपक्षी दलों ने योगी राज में पत्रकारों की सुरक्षा पर सवाल उठाए हैं।