शरद यादव : वो अल्हड़ नेता जिसने बेतुके बयान देने में पीएचडी कर रखी है

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राजनीति में अल्हड़पन और बेतुके बयान देना कोई नई बात नहीं है। आए दिन कोई ना कोई राजनेता अपनी बेतुकी बयानबाजी से चर्चा में आ जाता है। नेता बेतुके बयान देने के मामले में हमेशा आगे रहते हैं। बेतुके बयान देने में महारथ रखने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री और जनता दल यूनाइटेड के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव ने एक बार फिर अपने बोल बिगाड़े हैं। इस बार उन्होंने अपने बेतुके बयान में राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा पर निशाना साधा है।

शरद यादव चुनाव प्रचार की एक रैली में राजस्थान के अलवर में कहा कि “राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे बहुत थक गई है… पहले पतली थी, अब बहुत मोटी हो गई है और उन्हें अब आराम दिया जाना चाहिए। हालांकि बाद में उन्होंने वसुंधरा को मध्य प्रदेश की बेटी भी बताया।

ऐसे में वसुंधरा राजे ने इस बयान को नारी अपमान जोड़कर इस पर पलटवार किया। शरद यादव के लिए ऐसे बयान देना खासकर महिला को टारगेट करने वाली बातें बोलना कोई नई बात नहीं है। इससे पहले भी शरद यादव को अपने बयानों की वजह से चौतरफा आलोचना का सामना करना पड़ा है।

वोट की इज्जत बताने में फिसल गई थी जुबान

शरद यादव ने कुछ समय पहले कहा कि “लोगों को बैलेट पेपर के बारे में समझाने की जरूरत है। बेटी की इज्जत से वोट की इज्जत बड़ी है। बेटी की इज्जत जाएगी तो गांव और मोहल्ले की इज्जत जाएगी, अगर वोट बिक गया तो देश की इज्जत जाएगी”।

दक्षिण भारत की महिलाओं पर अभद्र टिप्पणी

शरद यादव संसद में बोल रहे थे और महिलाओं के लिए फिर उनकी जुबान फिसल गई। शरद ने कहा दक्षिण भारत की महिलाएं गोरी नहीं होती है लेकिन उनका शरीर खूबसूरत होता है, उनकी त्वचा सुंदर होती है लेकिन भारत के लोग गोरी चमड़ी के आगे सरेंडर कर देते हैं। इसके बाद उनको लेकर काफी दिनों तक चर्चाओं का बाजार गर्म रहा था।

स्मृति ईरानी के चरित्र पर उठाया सवाल

महिलाओं के खिलाफ गंदी बयानबाजी करने वाले शरद यादव ने कुछ समय पहले केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की बात पर जवाब देते हुए कहा कि “मैं जानता हूं, कि आप क्या और कौन हैं? इसके बाद स्मृति ने इस पर कड़ा विरोध जताया था।

कांवड़ियों को लेकर बिगड़े बोल

महिलाओं के खिलाफ बयान देना तो शरद यादव की आदत सी बन चुका है लेकिन कुछ समय पहले उन्होंने अपने अभद्र बयानों में कावंड़ियों को भी शामिल कर लिया। कावड़ यात्रा के दौरान उन्होंने बोला कि कांवड़ियों के पास कोई काम-धंधा तो है नहीं इसलिए वे हरिद्वार चले आते हैं।

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