अपना 292वां स्थापना दिवस मना रहा है जयपुर, जानें कैसे पड़ा इसका पिंक सिटी नाम

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गुलाबी नगर से आज पूरी दुनिया परिचित है और वह आज 18 नवंबर को अपना 292वां स्थापना दिवस मना रहा है। आज ही के दिन 292 साल पहले 18 नवंबर, 1727 को तत्कालीन कछवाहा वंश के महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने जयपुर शहर की नींव रखी थी।

इन 292 सालों के बाद भी गुलाबी शहर अपनी छटा को समस्त विश्व में बिखेर रहा है। आज भी इस ऐतिहासिक नगरी में किले, महल और रास्ते जयपुर की विरासत को समेटे हुए हैं।

वास्तुकार विद्याधर भट्टाचार्य की देखरेख में हुआ निर्माण

महाराजा सवाई जयसिंह ने जयपुर शहर की डिजाइन का जिम्मा बंगाल के प्रसिद्ध वास्तुकार विद्याधर भट्टाचार्य को दिया। उन्होंने अपनी योग्यता एवं अनुभव से इस शहर को अपने ही अंदाज में बनाया। इसके निर्माण के समय यहां पर बारिश के पानी का संचय और उसके निकास का विशेष तरीके का इंतजाम किया गया था, जो आज भी आधुनिक भारत के ज्यादातर शहरों में देखने को नहीं मिलता।

इतिहासकारों के मुताबिक ज्योतिष विद्वान पं. जगन्नाथ और राजगुरु रत्नाकर पौंड्रिक ने सबसे पहले गंगापोल की नींव रखी थी। इस शहर के निर्माण में भारतीय ज्योतिष का पूरा ध्यान रखा गया। विद्याधर ने नव ग्रहों के आधार पर ही शहर में नौ चौकड़ियां और सूर्य के सात घोड़ों पर सात दरवाजे युक्त परकोटा बनवाया गया। पूर्व से पश्चिम की ओर जाती सड़क पर पूर्व में सूरजपोल और दक्षिण में चंद्र पर चांदपोल नाम दिया गया।

इस वजह से पड़ा पिंक सिटी

जयपुर तीनों ओर से अरावली पर्वत श्रृंखला से घिरा हुआ है, जो इसकी खूबसूरती में चार चांद लगाती है। इस शहर को गुलाबी धौलपुरी पत्थरों के उपयोग से बनाया गया है। वर्ष 1876 में महाराजा सवाई रामसिंह ने ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ और प्रिंस ऑफ वेल्स युवराज अल्बर्ट के स्वागत के पर पूरे शहर को गुलाबी रंग से सजवा दिया गया था, तभी से यह शहर पिंक सिटी के नाम से पुकारा जाने लगा। इस शहर को भारत का पेरिस भी कहा जाता है।

स्मार्ट सिटी की राह पर जयपुर

ऐतिहासिक शहर जयपुर आज एक स्मार्ट सिटी बनने की राह पर है। जिसके तहत जयपुर में मेट्रो भी शुरू हो चुकी है। इसका पहला चरण चांदपोल से मानसरोवर तक जयपुर में पहले फेज शुरू हो चुका है। जयपुर की बढ़ती आबादी की वजह से अब सरकार ने जयपुर में दो नगर निगमों के गठन को मंजूरी दे दी है। जयपुर में परकोटे के क्षेत्र को हेरिटेज जयपुर और परकोटे से बाहर बसे नए जयपुर को ग्रेटर जयपुर नाम दिया गया है।

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