बॉलीवुड हिंदी फिल्मों सुप्रसिद्ध संगीतकार जयकिशन की आज 12 सितंबर को 52वीं डेथ एनिवर्सरी है। हिंदी सिनेमा को एक से बढ़कर एक हिट गीत देने वाली शंकर-जयकिशन की जोड़ी एक जमाने में काफ़ी पॉपुलर थी। इस जोड़ी के जयकिशन का पूरा नाम जयकिशन दयाभाई पांचाल था। इन्होंने शंकर सिंह रघुवंशी के साथ जोड़ी बनाकर वर्ष 1949 से 1969 के बीच पूरे बीस सालों तक जो गीत हिंदी सिनेमा को दिए, वो सुरीले दौर के तौर पर सिने इतिहास में अंकित हैं। इस अवसर पर जानिए दिग्गज संगीतकार जयकिशन के बारे में कुछ अनसुनी बातें….
एक्टर बनने मुंबई आए जयकिशन ने की थी गार्ड की नौकरी
जयकिशन का जन्म 4 नवंबर, 1929 को गुजरात प्रांत के नवसारी जिले स्थित वंसाडा शहर में हुआ था। जयकिशन को संगीत के प्रति बचपन से ख़ासा लगाव रहा था। वह हारमोनियम बजाने में पारंगत थे। उन्होंने वाडीलालजी, प्रेम शंकर नायक और विनायक तांबे से शास्त्रीय संगीत की शिक्षा ली थी। संगीत के प्रति झुकाव रखने के बाद भी वह एक्टर बनना चाहते थे। बॉलीवुड फिल्मों में एक्टर बनने का सपना लेकर ही वह मुंबई आए थे।
उन्हें मुंबई में गार्ड की नौकरी तक करनी पड़ी थी। उसी दौरान उनकी मुलाकात बाद में उनके संगीत जोड़ीदार बने शंकर सिंह से हुयी थी। इस संगीतकार जोड़ी की शुरुआत पृथ्वीराज कपूर के पृथ्वी थिएटर से हुई थी, शंकर की सिफ़ारिश पर जय को पृथ्वी थियेटर में हारमोनियम बजाने के लिए अपॉइंट कर लिया था।
राज कपूर की पहली फिल्म में बतौर सहायक काम किया
सन् 1948 में राज कपूर की पहली फिल्म ‘आग’ में शंकर-जयकिशन की जोड़ी ने संगीतकार राम गांगुली के साथ बतौर असिस्टेंट काम किया था। बाद में राजकपूर और राम गांगुली के बीच किसी बात को लेकर मतभेद हो गया था। उनदिनों राज कपूर अपनी नई फिल्म ‘बरसात’ की तैयारियों में जुटे हुए थे। राम गांगुली के मतभेद के कारण राज कपूर ने शंकर-जयकिशन को मिलने का निमंत्रण भेजा।
राज कपूर शंकर-जयकिशन के संगीत बनाने के अंदाज से काफ़ी प्रभावित हुए और उन्होंने इस जोड़ी से अपनी अगली फिल्म ‘बरसात’ में संगीत देने की पेशकश कर दी। फिल्म ‘बरसात’ में इन दोनों की जोड़ी ने ‘जिया बेकरार है’ और ‘बरसात में हमसे मिले तुम सजन’ जैसे सुपरहिट गानों का संगीत दिया। इस फिल्म की सफ़लता के बाद इस जोड़ी ने बतौर संगीतकार बॉलीवुड संगीत जगत में अपनी पहचान बना ली थी।
दोनों की जोड़ी ने सर्वाधिक 9 बार जीता फिल्म फेयर अवॉर्ड
यह महज संयोग ही था कि फिल्म ‘बरसात’ से लिरिसिस्ट शैलेन्द्र और हसरत जयपुरी ने भी अपने फिल्मी कॅरियर की शुरुआत की थी। इस फिल्म की कामयाबी के बाद राज कपूर, हसरत जयपुरी और शंकर-जयकिशन की जोड़ी ने एक साथ कई फिल्मों में काम किया था। इन संगीतकार और गीतकारों की जोड़ी खूब जमी और संगीत प्रेमियों के बीच काफ़ी पसंद की गईं।
सबसे ख़ास बात यह है कि शंकर-जयकिशन की जोड़ी को सबसे अधिक 9 बार सर्वश्रेष्ठ संगीतकार के फिल्म फेयर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। इन दोनों की जोड़ी साल 1971 तक बरकरार रहीं। इसी साल 12 सितंबर को जयकिशन ने इस दुनिया को अलविदा कर दिया था। अपने जोड़ीदार के जाने के बाद शंकर भी अकेले हो गए थे।
शंकर और जयकिशन ने एक-दूसरे से किया वादा नहीं निभाया
बॉलीवुड फिल्म संगीत की सर्वाधिक कामयाब संगीतकार जोड़ी शंकर-जयकिशन ने अपनी धुनों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया था। इन दोनों की जोड़ी की एक मिसाल दी जाती थी लेकिन, एक वक़्त ऐसा भी आया जब दोनो के बीच अनबन हो गयी थी। शंकर और जयकिशन ने एक-दूसरे से किया वादा नहीं निभाया।
वादा यह था कि वह कभी किसी को नहीं बताएंगे कि धुन किसने बनायी है, लेकिन एक बार जयकिशन इस वादे को भूल गए और मशहूर फिल्म पत्रिका फिल्मफेयर के एक लेख में बता दिया कि फिल्म ‘संगम’ के गीत ‘ये मेरा प्रेम पत्र पढ़कर कि तुम नाराज न होना’ की धुन उन्होंने बनाई है। इस बात से शंकर काफ़ी ख़फ़ा हुए। बाद में प्रसिद्ध गायक मोहम्मद रफ़ी के प्रयास से शंकर और जयकिशन के बीच की दूरी कम हो पाईं।
प्यारेलाल ने अपने जोड़ीदार के साथ सात बार जीता था सर्वश्रेष्ठ संगीतकार का फिल्मफ़ेयर पुरस्कार