“जय श्री राम” के नाम पर पीटने वालों को इस नोबेल पुरस्कार विजेता ने पते की बात कही है !

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पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी सरकार और केंद्र की भाजपा सरकार के बीच टकराव अलग-अलग कारणों से हर दिन बढ़ रहा है। राज्य में जय श्री राम के नारे पर हर दूसरे दिन हिंसा की घटनाएं सामने आ रही है, जिससे हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं।

जहां भाजपा पर ध्रुवीकरण की राजनीति कर पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनावों का माहौल बिगाड़ने के आरोप लग रहे हैं वहीं ममता बनर्जी को तानाशाह करार दिया जा चुका है। राम के नारों पर होने वाली हिंसा पर राजनीति जमकर हो रही है, इसी बीच नोबेल पुरस्कार विजेता महान अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने एक पते की बात कही है।

अमर्त्य सेन कोलकाता के जादवपुर विश्वविद्यालय में एक कार्यक्रम में बोल रहे थे वहां उन्होंने कहा “जय श्री राम” का नारा आज के माहौल में सिर्फ लोगों को पीटने के लिए इस्तेमाल हो रहा है। इतिहास में बंगाल की संस्कृति से जय श्री राम का कोई जुड़ाव नहीं दिखता है।

सेन ने आगे कहा कि बंगाल के लोगों की जिंदगी में हमेशा से “मां दुर्गा” ही सर्वव्यापी रही है।

सेन ने अपने परिवार का एक किस्सा बताते हुए कहा कि “जब मैंने अपने चार साल के पोते से उसके पसंदीदा देवता के बारे में पूछा, तो उसने माँ दुर्गा बताया। बंगाल में लोगों के बीच माँ दुर्गा को जो कद और मान्यता हासिल है उसकी तुलना हम राम नवमी से नहीं कर सकते हैं।

बंगाल में रामनवमी का उत्सव आज जिस लोकप्रियता से मनाया जा रहा है उससे पहले यहां के लोगों में ऐसा उत्साह नहीं देखने को मिलता था। आम जनता के बारे में बोलते हुए सेन आगे बोले कि गरीबों की आय का स्तर बढ़ाने से उनके जीवन की दशा में कोई बदलाव नहीं लाया जा सकता है। अगर लोगों को बुनियादी स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और सामाजिक सुरक्षा नहीं मिलेगी तो ऐसा विकास किसी काम का नहीं है।

मालूम हो कि सेन की टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब पश्चिम बंगाल में कथित तौर पर “जय श्री राम” का जाप करने के लिए लोगों को मजबूर किया गया है।

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