इस्लामिक बैंक फ्रॉड: ऐसे निवेश से बचने के लिए स्वयं की समझदारी कितनी जरूरी है!

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वर्ष 1994 में अजय देवगन अभिनीत बॉलीवुड फिल्म ‘दिलवाले’ रिलीज हुई थी। रूपहले पर्दे पर बेहद सफ़ल रही यह फिल्म अजय के कॅरियर को नई उड़ान देने वाली साबित हुई। इस फिल्म का एक डायलॉग आज भी युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय है। ‘हमें तो अपने ने लूटा.. गैरों में कहां दम था’, करीब 25 साल पुराना यह डायलॉग हाल में हुए ‘इस्लामिक बैंक फ्रॉड’ मामले में फिट बैठता है। जी हां, इस मामले में एक शख़्स ने धर्म के सहारे ठगी का खेल रचा और तीस हजार लोगों के पैसे लेकर विदेश भाग गया। इस शख़्स का नाम है मोहम्मद मंसूर खान।

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तीस हजार मुस्लिमों को चूना लगाकर फ़रार हुआ मंसूर खान

इस्लामिक बैंक के नाम पर फ्रॉड करने वाले मोहम्मद मंसूर खान ने इस्लाम की आढ़ में अपने धर्म को मानने वाले करीब 30 हजार लोगों से 1500 करोड़ रुपये एकत्र किए और दुबई भाग गया। मंसूर खान ने धर्म के नाम पर लोगों को बहकाया और बड़े रिटर्न का वादा किया था। उसने एक पोंजी स्कीम चलाई (ऐसी स्कीम जिसमें भोले-भाले लोगों को कम समय में कई गुना तक धन बढ़ने का लालच दिया जाता है)। मंसूर खान की स्कीम का भी वही हश्र हुआ जो बाकी पोंजी स्कीम्स का होता आया है।

इस प्रकार से इस्लामिक बैंक के नाम पर मोहम्मद मंसूर खान ने लोगों के साथ बहुत बड़ा फ्रॉड किया है। सबसे बड़ी बात यह है कि लोगों को धर्म के नाम पर ठगा गया है। मंसूर खान ने अपने शातिर दिमाग का पूरा उपयोग करते हुए इस स्कीम का प्रचार-प्रसार भी मुस्लिम धर्मगुरूओं और नेताओं से कराया जिससे किसी भी प्रकार की शंका के सभी बादल हटते गए और लोगों में उसके प्रति विश्वास जगा। उसने आम मुस्लिमों को निशाना बनाया।

करोड़ों की ठगी करने वाला मंसूर खान मैनेजमेंट स्नातक है। वर्ष 2006 में आई मॉनेटरी एडवाइजरी (IMA) के नाम से एक बिजनेस की शुरुआत की थी और इनवेस्टर्स को बताया कि यह संस्था बुलियन में निवेश करेगी और निवेशकों को 7-8 प्रतिशत रिटर्न देगी। सार्वजनिक तौर पर वह और उसके कर्मचारी हमेशा साधारण कपड़ों में दिखते, लंबी दाढ़ी रखते और ऑफिस में ही नमाज पढ़ते। मोहम्मद मंसूर खान नियमित तौर पर मदरसों और मस्जिदों में दान दिया करता था। निवेश करने वाले हर मुस्लिम शख्स को कुरान भेंट की जाती थी। यह सब लोगों का ध्यान खींचने और विश्वास में लेने का एक बड़ा जरिया बना। शुरुआत में निवेश के बदले अच्छा रिटर्न पहुंचाया और बड़े चेक निवेशकों को दिए, जिससे उसकी योजना का प्रचार बड़ी तेजी से हुआ।

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धार्मिक भावनाओं के जरिये लोगों तक पहुंचा

इस्लाम में ब्याज से मिली रकम को अनैतिक और इस्लाम विरोधी माना जाता है। इस धारणा को तोड़ने के लिए मंसूर खान ने धर्म का कार्ड खेला और निवेश करने वाले लोगों को ‘बिजनेस पार्टनर’ का दर्जा दिया और भरोसा दिलाया कि 50 हजार के निवेश पर उन्हें तिमाही, छमाही या सालाना अवधि के अंतर्गत ‘रिटर्न’ दिया जाएगा। इस तरह वह मुसलमानों के बीच ‘ब्याज हराम है’ वाली धारणा तोड़ने में सफ़ल रहा। मंसूर ने शुरुआत में 9 फीसदी रिटर्न दिया लेकिन फरवरी में यह रिटर्न मात्र 1 फीसदी रह गया। इसके बाद जब लगातार विदड्रॉल रिक्वेस्ट आने लगीं तो पता चला कि वह ऑफिस बंद करके दुबई भाग गया है।

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मोहम्मद मंसूर खान की कंपनी ने जो फ्रॉड ​किया वह देश में ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। इससे पहले भी सहारा, शारदा चिट फंड, पीएसीएल, एमएलएम आदि.. सभी पोंजी योजनाएं हैं जिनमें निवेशकों के हजारों करोड़ रुपए इसी तरह डूब गए। अक्सर भोले-भाले लोग इस पोंजी स्कीम्स का शिकार बनते हैं। यहां तक की कई मर्तबा समझदार व्यक्ति भी कम समय में धन बढ़ाने के लालच में आकर निवेश कर देता है, जिसके दूरगामी नतीजे यह होते है कि एक दिन न कंपनी का अस्तित्व रहता है और न ही निवेश किया गया पैसा।

ऐसे में लोगों के पास इस तरह की ठगी से बचने का एक ही तरीका है कि किसी भी तरह की स्कीम्स में कम समय में धन बढ़ाने के लालच में नहीं आएं। इस तरह की ठगी से बचने के लिए यह तय कर लें कि ऐसी किसी भी स्कीम्स में निवेश नहीं करना है। कम समय में अच्छा रिटर्न पाने का आपका लालच आपको बड़े संकट में डाल सकता है। इसलिए हर व्यक्ति को ऐसी फ्रॉड स्कीम्स के लिए अपनी स्वयं की समझदारी जरूरी है।

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