अंतरिम बजट में 12 करोड़ छोटे किसानों, तीन करोड़ मध्यम वर्ग के टैक्स पेयर्स और असंगठित क्षेत्र के लगभग 10 करोड़ श्रमिकों पर ध्यान देकर एक बार फिर भाजपा के सांसदों के चेहरों पर मुस्कान लौट आई है जो कि तीन बड़े राज्यों में हार के बाद से गायब थी।
5 लाख रुपये तक की व्यक्तिगत वार्षिक आय के लिए पूरी टैक्स छूट को लोकसभा चुनाव से पहले मध्यम वर्ग को लुभाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। विपक्ष लगातार सरकार पर किसानों को स्थिति को लेकर वार करता रहा है। ऐसे में प्रधानमंत्री किसान निधि (पीएम-केएसएएन) की घोषणा के अंतर्गत छोटे किसानों के बैंक खातों में सीधे 6000 रूपए सालाना सरकार देने वाली है।
छत्तीसगढ़ के बीजेपी सांसद दिनेश कश्यप ने किसानों के बीच बढ़ते असंतोष को विधानसभा में उनकी हार का कारण बताया और कहा कि बजट की घोषणाएं भाजपा के लिए केक की तरह हैं।
दिनेश कश्यप का कहना है कि “हमने महिलाओं के लिए दलितों के लिए बुनियादी ढांचे में कई विकास किए। लेकिन किसान दुखी थे। बजट ने भाजपा को नया जोश दिया है और लोगों के अंदर एक नया उत्साह जगाया है। विपक्ष को हराने के लिए हमारे पास एक नया हथियार भी है”
मध्य प्रदेश से पार्टी के वरिष्ठ सांसद गणेश सिंह ने कहा कि “किसानों के लिए उपाय पहले ही नई ऊर्जा ला चुके हैं। इसका असर देखा जा सकता है। जिन किसानों को घोषित एमएसपी का कोई लाभ नहीं मिल रहा था या जिनकी उपज की खरीद नहीं हो रही थी उन्हें शिकायत थी। आज की घोषणाओं में उनका ध्यान रखा गया है। उन्होंने कहा कि भाजपा का चुनाव अभियान इन उपायों को उजागर करेगा”
सरकार के बजट में ये फैसले किसानों में पैदा हो रहे रोष को ध्यान में रखकर ही लिए गए हैं जिन पर विपक्ष काफी समय से बीजेपी का विरोध करता आया है। ध्यान देने वाली बात यह है कि भाजपा ने अपनी मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ इकाइयों से राज्य के चुनावों से पहले कर्ज माफी जैसे वादे करने का दबाव नहीं डाला और भाजपा ने तीनों राज्यों- मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में सत्ता गंवा दी थी।
किसानों को मेहनत की जो कमाई मिलनी चाहिए वो नहीं मिल रही है और ऐसा लगता है कि सरकार ने भी इस बात को स्वीकार किया है। बजट भाषण में भाजपा द्वारा गंवाए गए तीनों राज्यों के बारे में जिक्र नहीं किया गया था। वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने गरीब किसानों को नकद रकम देने के पीछे पिछले कुछ सालों में किसानों की आय में कमी को बताया।
गोयल ने अपने भाषण में कहा कि “2017-18 के बाद से अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कृषि वस्तुओं की कीमतों में गिरावट और भारत में खाद्य मुद्रास्फीति में गिरावट ने खेती से रिटर्न कम कर दिया है। गोयल ने कहा कि बार-बार होने वाले विभाजन के कारण छोटी और खंडित भूमि ने भी किसान परिवार की आय में गिरावट में योगदान दिया है” अरुण जेटली ने भी ऐसा ही कुछ कहा।
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले ये घोषणाएं पार्टी के सांसदों और कार्यकर्ताओं के लिए नए टॉकिंग पॉइंट्स बनकर उभर रहे हैं। भाजपा के खिलाफ जो भी रानीतिक माहौल चुनावों के मध्यनजर तेज हो रहा है उसे पार्टी के प्रवक्ता इस बजट से काउंटर कर सकेंगे।
सामान्य वर्ग में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10 प्रतिशत कोटा पर पिछले महीने राज्यसभा में बोलते हुए कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इसके लिए एक इशारा भी किया था। उन्होंने कहा था कि “क्रिकेट में छक्का स्लॉग ओवर में लगता है जब मैच खत्म होता है तब लगता है, अगर आपको इससे परेशानी है तो ये पहला छक्का नहीं है और छक्के आने वाले हैं”
बीजेपी के सांसद का कहना है कि “ये बजट सर्जिकल स्ट्राइक है। यह बजट एक सर्जिकल स्ट्राइक है। यदि राम मंदिर का तड़का लग जाए तो पार्टी 300 सीटों से आगे निकल जाएगी”
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि “बजट घोषणाएं (विकास) की बहस को वापस लाएंगी। ये वही मुद्दा है जिस पर पार्टी और मोदी का मानना है कि उनके पास स्पष्ट बढ़त है। राम मंदिर जैसे भावनात्मक मुद्दों पर उन्होंने कहा कि विवादित स्थल से सटे भूमि पर स्थगन के लिए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के लिए सरकार के कदम से पहले से ही कट्टरपंथी प्रसन्न थे”
इस नेता ने दावा किया कि “कैडर और आरएसएस के दबाव ने सरकार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के लिए मजबूर किया। उन्होंने कहा कि अगर कानूनी प्रक्रिया में देरी हो रही है या सरकार को रामजन्मभूमि न्यास को जमीन वापस करने की अनुमति नहीं है तो सरकार चुनाव से पहले एक विधायक तैयार कर सकती है”
उन्होंने कहा कि “यदि जमीन न्यास को वापस कर दी जाती है तो बाड़ लगाने या फाटकों का निर्माण वहां पर शुरू हो सकता है पार्टी के आधार को एक साथ रखने के लिए इस तरह की कोई भी पहल पर्याप्त होगी। अब जब पार्टी के पास किसानों और मध्यम वर्ग के लिए बजट की घोषणाएं हैं तो विकास के पहलू को उजागर करने के लिए उसे सत्ता में सम्मानजनक वापसी सुनिश्चित करने के लिए अपना वोट आधार बरकरार रखना होगा।“