कुछ समय पहले ही हमने प्रियंका गांधी की एक बड़ी एंट्री कांग्रेस की तरफ से देखी। कांग्रेस की अखिल भारतीय महासचिव और पूर्वी उत्तर प्रदेश के प्रभारी के रूप में प्रियंका को नियुक्त किया गया है। लेकिन क्या प्रियंका गांधी पार्टी को राज्य में 30 साल के वनवास से बाहर निकाल सकती है? 1989 के बाद से उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार नहीं रही है।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक राहुल ने यूपी में कांग्रेस को सत्ता में लाकर पार्टी के सुनहरे दिन वापस लाने के लिए प्रियंका गांधी पर भरोसा किया है।
2017 के विधानसभा चुनावों में 403 में से सात सीटों पर कांग्रेस पार्टी रही और कांग्रेस को काफी निराशा का सामना करना पड़ा था।
हालांकि, प्रियंका गांधी की मौजूदगी से पार्टी में उत्साह चार्ज बढ़ने की संभावना है। वे कुछ हद तक जनता को आकर्षित भी करेंगी। अभी से इसके सबूत दिखते जा रहे हैं। जगह जगह गलियों बाजारों में प्रियंका के पोस्टर देखे जा सकते हैं। इसके अलावा लखनऊ में उनके स्वागत की तैयारी भी देखी जा सकती है।
सोमवार को राज्य की राजधानी में आने से पहले ही प्रियंका गांधी ने राज्य सरकार और जिले के नेताओं के साथ योगी सरकार पर अटैक करना शुरू कर दिया है जिससे पता चलता है उन्होंने पहले से ही पूरा रोडमेप तैयार कर रखा है।
भाजपा सरकार की उनकी कड़ी आलोचना यह स्पष्ट करती है कि वह पार्टी की लड़ाई को आगे बढ़ाएंगी और लखनऊ में रहकर अपने प्रतिद्वंद्वियों को चुनौती देंगी।
आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार अगले तीन दिनों में, प्रियंका गांधी दिन के 11 बजे से 11 बजे के बीच लगभग 12 घंटे जिला स्तरीय नेताओं से मिलेंगी।
जिला और निर्वाचन क्षेत्र के नेताओं से उनकी बातचीत एक बड़ा कदम है। अब तक, पार्टी या गांधी परिवार के सदस्यों के शीर्ष नेतृत्व ने शायद ही कभी उनसे मुलाकात की। ऐसे में यह कदम कांग्रेस के लिए काफी बेहतर साबित हो सकता है।
प्रियंका 13 फरवरी की शाम को दिल्ली वापस आएंगी और अधिक बातचीत के लिए लखनऊ वापस जाएंगी। उनकी यात्रा का सिलसिला शुरू हो ही चुका है। उनकी यात्रा में फैजाबाद, गोरखपुर, वाराणसी और इलाहाबाद शामिल हो सकते हैं।
राहुल ने उन्हें आगामी आम चुनावों के लिए प्रियंका को पूर्वी उत्तर प्रदेश में, राज्य के 42 निर्वाचन क्षेत्रों की जिम्मेदारी सौंपी हो सकती है लेकिन वे 2022 के विधानसभा चुनावों के लिए भी एक बड़ी भूमिका निभाएंगी।
कांग्रेस का अगला लक्ष्य मुख्य रूप से भाजपा के प्रतिद्वंद्वी खेमे से ब्राह्मण के नेतृत्व वाली उच्च जातियों को लुभाना होगा। टीम प्रियंका को उन भूले-भटके ब्राह्मण परिवारों से संपर्क करने को कहा गया है जो कभी कांग्रेस से जुड़े थे। ऐसे में सीधे तौर पर देखा जा सकता है प्रियंका गांधी राज्य में योगी आदित्यनाथ को भी टक्कर देने उतरी हैं।