2019 के आम चुनाव का बिगुल बज चुका है। 17वीं लोकसभा के लिए होने वाले पहले चरण के मतदान में अब बहुत ज्यादा समय शेष नहीं रह गया। केन्द्रीय सत्ता में आसीन भारतीय जनता पार्टी जहां एक बार फिर से एनडीए के साथ सत्ता में आना चाहती हैं वहीं, कांग्रेस के सहयोगी दलों से बना यूपीए सत्ता में वापसी के लिए लालायित हो रहा है। किसकी सरकार बनेगी? यह जनता तय करने वाली है। लेकिन इस चुनाव में मुख्य रूप से मुकाबला बीजेपी बनाम यूपीए हो सकता है। इस चुनावी माहौल के बीच बीजेपी ने अपने उम्रदराज नेताओं को चुनाव में नहीं उतारने का फैसला लिया है। वैसे तो राजनीति की कोई उम्र या समय सीमा तय नहीं होती है लेकिन अब समय आ गया है कि जैसे चुनाव लड़ने की कम से कम उम्र तय की गई है उसी प्रकार से चुनाव लड़ने की एक आखिरी सीमा भी तय कर दी जानी चाहिए।
75 प्लस नेताओं को किया साइड लाइन
2019 के लोकसभा चुनाव में टिकट वितरण के दौरान 75 पार के नेताओं का टिकट काटते हुए भारती जनता पार्टी यानी बीजेपी ने उम्रदराज नेताओं को सक्रिय राजनीति से रिटायर होने का सीधा संदेश दे दिया है। इसी के साथ बीजेपी ने सक्रिय राजनीति की एक उम्र या समय सीमा तय कर दी है। वैसे ये सब कोई नई बात नहीं है, पार्टी इसके संकेत पिछले साल जुलाई माह में ही दे चुकी थी। हालांकि उसके बाद दिसम्बर में माह में ये ख़बरें भी मीडिया में आने लगीं थी कि पार्टी 75 पार नेताओं को भी टिकट दे सकती है। लेकिन बीजेपी ने हालिया अपने उम्मीदवारों की सूची में उम्रदराज नेताओं के टिकट काटते हुए यह संकेत दे दिए हैं कि अब 75 वर्ष तक ही पार्टी की ओर से चुनाव लड़ा जा सकता है।
2014 में मोदी कैबिनेट बनाने के समय भी मिले थे संकेत
2014 के लोकसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी के नाम की लहर पूरे देश में चली और भारतीय जनता पार्टी अपने सहयोगियों के बिना भी सत्ता में पहली बार आने में कामयाब रहीं। इस चुनाव में बीजेपी को पार्टी के इतिहास में अब तक की सबसे बड़ी जीत मिली। प्रधानमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी का नाम पहले ही तय किया जा चुका था। अब बारी थी कैबिनेट के निर्माण की। पीएम मोदी ने अपनी कैबिनेट में 75 साल से अधिक के एक भी नेता को मंत्री नहीं बनाया। इससे यह तय हो चुका था कि बीजेपी अगले लोकसभा चुनाव में उम्रदराज़ नेताओं को टिकट नहीं देगी और अब पार्टी ने 2019 के आम चुनाव में यह करके भी दिखा दिया है।
मुरली मनोहर, आडवाणी, खंडूरी, मुंडा समेत कई नेताओं के कटे टिकट
बीजेपी द्वारा 2014 में तय किए गए फार्मूले अब पूरी तरह से लागू होते भी नज़र आ रहे हैं। इसके तहत पार्टी ने नरेन्द्र मोदी और अमित शाह के नेतृत्व में 75 साल से अधिक उम्र के नेताओं को टिकट नहीं दिया है। इस फार्मूले को अपनाते हुए ही बीजेपी एक के बाद एक सूची जारी कर रही है। बीजेपी के दिग्गज नेता लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को टिकट नहीं दिया गया। आडवाणी की जगह पार्टी अध्यक्ष अमित शाह खुद गांधी नगर लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतरे हैं। पार्टी ने लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, पूर्व केन्द्रीय मंत्री शांता कुमार, करिया मुंडा, भगत सिंह कोश्यापी, कलराज मिश्र, हुकुम देव नारायण यादव, बीसी खंडूरी आदि उम्रदराज नेताओं के टिकट काट दिए हैं। ये अब नेता चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। कुछ बीजेपी नेताओं ने टिकट वितरण से पहले ही इस बात की घोषणा कर दी थी कि वे चुनाव नहीं लड़ेंगे। इनमें मोदी सरकार में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज शामिल हैं।
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अधिक युवाओं को मिलेगा लोकसभा जाने का मौका
भारतीय जनता पार्टी की ओर से 75 प्लस नेताओं के टिकट काटे जाने की शुरूआत हो चुकी हैं। पार्टी इन उम्रदराज नेताओं में से कुछ को राज्यपाल बना सकती है। लेकिन आगे भी इसे बरकरार रख सकती है जिससे अधिक से अधिक युवाओं को राजनीति में आने का मौका मिल सके। बीजेपी ने समय की मांग और जरूरतों का सबसे पहले समझा है। अब देश के अन्य राजनीतिक दलों को भी इससे सीख लेते हुए यह तय कर लेना चाहिए कि 75 पार के किसी नेता को चुनाव में न उतारे। जिससे देश में नई पीढ़ी के नेताओं की फौज तैयार हो सके। अगर पार्टियां इस फार्मूले पर नहीं चलती है तो केन्द्र सरकार इस मामले में कानून संशोधन करते हुए चुनाव लड़ने की एक निश्चित उम्र सीमा तय कर दे। इससे अपने आप ही उम्रदराज नेता रिटायर हो जाएंगे।