क्या वाकई हो रही है प्लास्टिक कणों की बारिश, पढ़ें यह शोध

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जब पहली बार आपने सुना होगा कि तेजाब की बारिश भी होती है तो आपको यकीन नहीं हुआ होगा। ऐसे ही आप प्लास्टिक की बारिश के बार में सुनकर चौक अवश्य जाएंगे और शायद इस पर भी आपको यकीन न हो, लेकिन यह सच है। अमेरिका में हुए एक अध्ययन के बाद इस बात का खुलासा हुआ है कि अब बारिश के साथ प्लास्टिक कण भी गिर रहे हैं।

बारिश में प्लास्टिक के कणों पर अध्ययन यूएस जियोलॉजिकल सर्वे और यूएस इंटीरियर डिपार्टमेंट के वैज्ञानिकों ने मिलकर किया है। इस अध्ययन में शोधकर्ता नंगी आंखों से प्लास्टिक कणों को नहीं देख सके, लेकिन माइक्रोस्कोप और डिजिटल कैमरे के माध्यम से उन्होंने बारिश के पानी में प्लास्टिक के कण की मौजूदगी को पाया।

हर जगह मौजूद है प्लास्टिक कण

इस अध्ययन में लिए गए सैंपल्स में 90 फीसदी नमूनों में प्लास्टिक के कण उपस्थित थे, ज्यादातर प्लास्टिक फाइबर के रूप में थी। इसके अतिरिक्त बाकी रंग-बिरंगी प्लास्टिक थी। इस अध्ययन में पाया गया कि ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में शहरी क्षेत्रों में ज्यादा प्लास्टिक मौजूद है। यही नहीं समुद्र तल से 10,400 फीट की ऊंचाई पर पहाड़ी क्षेत्र से लिए गए सैंपल्स में भी प्लास्टिक के कण पाए गए हैं।

यह तो स्पष्ट नहीं हो सका कि बारिश के पानी में प्लास्टिक कण कहा सं आ रहे हैं लेकिन इस अध्ययन से प्लास्टिक के बढ़ते इस्तेमाल पूरी दुनिया के के लिए गंभीर संकट बन चुका है। इस अध्ययन के बाद यह सवाल हमारे जेहन में आता है कि आखिर हमारे हवा, पानी और मिट्टी में कितनी ज्यादा मात्रा में प्लास्टिक जमा हो चुकी है।

बारिश में प्लास्टिक को लेकर इससे पहले भी वैज्ञानिकों ने दक्षिणी फ्रांस में बारिश के साथ प्लास्टिक के सूक्ष्म कणों के गिरने का पता लगाया है। प्लास्टिक के ट्रिलियनों टुकड़े समुद्र में तैरते रहते हैं। एक अन्य अध्ययन में पाया गया था कि लोग हर सप्ताह करीब पांच ग्राम प्लास्टिक खा जाते हैं, जो एक क्रेडिट कार्ड के वजन के बराबर है।

अध्ययन में शामिल शोधकर्ता वीदरबी ने कहा, मेरा अनुमान है कि इस अध्ययन में सबसे जरूरी बात यह सामने आई है कि हम जितनी प्लास्टिक देख सकते हैं, उससे कहीं अधिक प्लास्टिक हर स्थान पर मौजूद है। यह बारिश में है, बर्फ में है और अब यह पर्यावरण का भी हिस्सा बन चुका है।

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प्लास्टिक का रिसाइकल न होना बड़ी वजह

पेन स्टेट बेहरेंड में माइक्रोप्लास्टिक के शोधकर्ता शेरी मैसन ने कहा, प्लास्टिक बारिश में सबसे अधिक योगदान कूड़े का है, इसका 90 प्रतिशत प्लास्टिक रिसाइकल नहीं हो पाता है और वह धीरे—धीरे छोटे कणों में अपघटित हो जाता है। यहां तक कि जितनी बार आप कपड़े धुलते हैं, उससे प्लास्टिक फाइबर्स टूटकर निकल जाते हैं। कई औद्योगिक प्रक्रियाओं में भी प्लास्टिक कण सह-उत्पाद के रूप में निकलते हैं। इस तरह वातावरण में प्लास्टिक कण एकत्रित होते रहते हैं। ये कण पानी की बूंदों के साथ मिल जाते हैं और बारिश के साथ ये प्लास्टिक कण भी गिरते रहते हैं। बारिश के बाद ये प्लास्टिक कण नदियों, झीलों, समुद्रों और भूमिगत जल में भी शामिल हो जाते हैं।

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