देश के हर हिस्से की राजनीति में वहां के जाति विशेष लोगों का काफी महत्व रहता है। ठीक वैसे ही, राजस्थान की अगर बात करें तो यहां की राजनीति में ब्राह्मण नेताओं की पैठ हमेशा से रही है। कुछ समय पहले कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक होने वाला ब्राह्मण आज कांग्रेस से दूर है।
सत्तारूढ़ दल बीजेपी जहां हिंदुओं की राजनीति करती है तो कांग्रेस ने भी अब ब्राह्मणों को लुभाने की कवायद तेज कर दी है। कुछ दिन पहले सीपी जोशी की ब्राह्मणों और जातिगत टिप्पणी और आज कांग्रेस अध्यक्ष राहुल ने भी अपनी जाति और गोत्र बताकर मीडिया की सुर्खियां बटोरने का काम किया है।
राजस्थान यात्रा की शुरूआत के दौरान पुष्कर के ब्रह्मा मंदिर में राहुल ने पूजा की जिस दौरान उन्होंने खुद को कौल ब्राह्मण और दत्तात्रेय गोत्र का बताया। एक के बाद एक जातिगत और गोत्र वाले बयानों से अब यह कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या कांग्रेस ब्राह्मण कार्ड खेलने के बारे में सोच रही है ?
कितनी सीटों पर है ब्राह्मणों की हवा
राजस्थान में 8 फीसदी वोटबैंक ब्राह्मणों का है। चुनाव में कांग्रेस के पास सीपी जोशी, गिरिजा व्यास और रघु शर्मा जैसे चेहरे हैं जिनके नाम पर ब्राह्मणों से वोट मांगे जा सकते हैं।
1990 तक रहे 5 ब्राह्मण सीएम
आजादी के बाद से 90 तक राजस्थान की राजनीति में ब्राह्मणों का दबदबा रहा है। आजादी के बाद से राजस्थान की जनता को 5 ब्राह्मण मुख्यमंत्री मिले। साल 1990 में हरिदेव जोशी आखिरी ब्राह्मण सीएम रहे।
कांग्रेस का ब्राह्मण कार्ड
राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने 20 ब्राह्मणों को टिकट दिया है। कुछ समय पहले हुए उपचुनाव में कांग्रेस के अजमेर लोकसभा सीट पर रघु शर्मा जीते जिससे कांग्रेस की उम्मीदें काफी बढ़ी हुई दिखाई देती है।