जल्द ही एक क्लिक पर हासिल हो सकेगी भारतीय संसद के 167 साल के इतिहास की जानकारी

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सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत इनदिनों भारत के नये संसद भवन का निर्माण कार्य चल रहा है। वहीं, वर्तमान संसद भवन अपने दशकों के इतिहास में बहुत कुछ समेटे हुए हैं। इसे लोगों तक पहुंचाने के लिए सरकार ने अपनी तैयारी लगभग पूरी कर ली है। जल्द ही संसद के 167 साल के इतिहास की जानकारी महज एक क्लिक के जरिए हासिल की जा सकेगी। जानकारी के अनुसार, कुछ महीने बाद ही संसद की डिजिटल लाइब्रेरी की वेबसाइट पर वर्ष 1854 से अब तक संसद में हुए वाद-विवाद की सभी जानकारियां उपलब्ध होंगी। संसद की वेबसाइट पर वाद-विवाद से संबंधित चार लाख दस्तावेज और चालीस लाख पृष्ठ को अपलोड करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।

ब्रिटिशकाल से अबतक के वाद-विवाद उपलब्ध कराने की कोशिश

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बताया कि भारतीय संसद में ब्रिटिश काल से अब तक जितने भी वाद-विवाद हुए हैं, उसे आम नागरिकों को सहज रूप से उपलब्ध कराने की एक कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि हमारे पास वर्ष 1854 से लेकर अब तक के कई दस्तावेज उपलब्ध हैं। अब तक दसवीं से 17वीं लोकसभा में हुए वाद-विवाद को डिजिटल कर दिया गया है। लोकसभा स्पीकर बिरला ने कहा कि इस साल तक 167 साल के दौरान हुए वाद-विवाद को डिजिटल स्वरूप में वेबसाइट पर उपलब्ध करा दिया जाएगा। इसका मकसद बस इतना है कि देशवासी संसद के विभिन्न आयामों से सहज रूप से परिचित हो सकें।

सभी विधानसभाओं की भी जानकारी एक पोर्टल पर उपलब्ध होगी

जानकारी के अनुसार, लोकसभा के पोर्टल पर देश की विभिन्न विधानसभाओं की भी जानकारी उपलब्ध होगी। लोकसभा अध्यक्ष के मुताबिक, देहरादून में पीठासीन अधिकारियों की बैठक में इस संबंध में एक समिति का गठन किया गया था। उसने अपनी रिपोर्ट दे दी है। अब स्वतंत्रता दिवस के बाद पीठासीन अधिकारियों की एक और बैठक होगी। इसमें समिति की रिपोर्ट और सिफारिशों के आधार पर इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ा जाएगा।

पार्लियामेंट के इसी सत्र के दौरान लॉन्च किया जाएगा संसद एप

लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने संसद को पूरी तरह से तकनीक से जोड़ने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि इसी सत्र के दौरान संसद एप लॉन्च कर दिया जाएगा। इसमें संसद टीवी का सीधा प्रसारण, सवाल-जवाब, वाद-विवाद सहित कई अन्य अहम जानकारियां उपलब्ध कराई जाएंगी। बिरला ने कहा कि विशेष प्रयास के कारण अब सांसद ई-नोटिस के जरिए अपने प्रश्न भेज रहे हैं। इस सत्र में कोशिश इसे सौ फीसदी तक ले जाने की है।

उन्होंने बताया कि सांसदों को पुस्तकालय के रिसर्च विभाग के जरिए ऑनलाइन किसी विषय से संबंधित डाटा चौबीस घंटे उपलब्ध है। पुस्तकालय को ऑनलाइन कर दिया गया है। सांसद ऑनलाइन ही जरूरी पुस्तकें अपने घर पर मंगवा सकते हैं।

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