देश में कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर से लगातार हालात बिगड़ते जा रहे हैं। ऐसे में भारत सरकार ने अपना टीकाकरण अभियान और तेज कर दिया है। फिलहाल देश में सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन की वैक्सीन लोगों को दी जा रही है। इधर, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद यानि आईसीएमआर ने जानकारी दी कि हमारा नया शोध यह दर्शाता है कि भारत की स्वदेशी कोरोना वैक्सीन कोवैक्सीन का टीका सार्स-कोव 2 के सभी वेरिएंट के खिलाफ असरदार है और प्रभावी रूप से डबल म्यूटेंट स्ट्रेन को भी बेअसर करने का काम करता है।
डबल म्यूटेंट की मौजूदगी को स्वीकार कर चुका है स्वास्थ्य मंत्रालय
जानकारी के लिए बता दें कि देश में 1 मई से कोरोना वैक्सीनेशन का तीसरा चरण शुरू होने वाला है और उसमें 18 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को वैक्सीन लगवाने की अनुमति मिल गई है। ऐसे में ICMR के इस शोध से आशाएं बढ़ गई हैं। माना जा रहा है कि देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर के लिए डबल म्यूटेंट वेरिएंट ही जिम्मेदार है। कोरोना के नए वेरिएंट यानि B.1.617 के बारे में पिछले साल जानकारी दी गई थी। पिछले महीने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पहली बार डबल म्यूटेंट की मौजूदगी को स्वीकार किया था। तब से लेकर अबतक यह अमेरिका, जर्मनी, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया समेत दस देशों में सामने आ चुका है।
संक्रमितों की कोशिकाओं में वायरस के प्रवेश को आसान बनाते म्यूटेंट
आपको मालूम हो कि डबल म्यूटेंट वेरिएंट को B.1.617 के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इसमें ई484क्यू और एल452आर दोनों तरह के म्यूटेंट पाए गए हैं। कई देशों में ये वेरिएंट अलग-अलग पाए गए हैं, लेकिन भारत में पहली बार दोनों एक साथ पाए गए हैं। दोनों म्यूटेशन वायरस के स्पाइक प्रोटीन में हुए हैं, जो कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्तियों की कोशिकाओं में वायरस के प्रवेश को आसान बनाने का काम करते हैं।
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