भले ही मौजूदा दौर में भारतीय अर्थव्यवस्था की ग्रोथ धीमी हो, लेकिन भारतीय कंपनियां ग्राहकों की अपेक्षा के अनुरूप अपने प्रोडक्ट्स की क्वालिटी सुधारने के मामले में काफी पिछड़े हैं। ये कंपनियां अपने वार्षिक लाभ का एक प्रतिशत से भी कम राशि अनुसंधान और विकास (रिसर्च एंड डेवलपमेंट R&D) पर खर्च करने के मामले में बेहद कंजूस है।
भारत में प्रोडक्ट्स की गुणवत्ता सुधारने के लिए R&D पर जितनी राशि खर्च होती है उसमें कंपनियों का योगदान काफी कम है। वहीं अमेरिका, इजराइल जैसे विकसित देश एवं चीन में R&D पर बहुत ज्यादा खर्च किया जाता है। यही वजह है कि R&D पर अपेक्षा के अनुरूप खर्च नहीं करने की वजह से भारतीय प्रोडक्ट्स वैश्विक बाजार में अपनी पहचान नहीं बना पाते हैं।
संसद की स्थायी समिति ने R&D खर्च बढ़ाने की सिफारिश की
भारत की विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय से संबंधित स्थायी समिति ने केंद्र सरकार द्वारा R&D पर किए गए निवेश का स्तर जीडीपी का महज व.6 फीसदी होने पर चिंता जताई है। सरकार विभिन्न क्षेत्रों में R&D पर बहुत कम खर्च कर रही है। इस समिति ने सिफारिश की है कि सरकार इस दिशा में निजी क्षेत्र के साथ मिलकर शोधों को बढ़ावा देने के उपाय लागू करें।
इजराइल करता है आर एंड डी पर सबसे ज्यादा खर्च
रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर खर्च करने के वैश्विक आंकड़े यूनेस्को ने जारी किए है। इन आंकड़ों में इकोनॉमिक सर्वे वर्ष 2017-18 में यह दर्शाया गया है कि पिछले दो दशकों में भारत के R&D खर्च में ज्यादा बढ़ोतरी नहीं देखने को मिली है। इस दौरान कई देशों ने अपना R&D व्यय को बढ़ाया है, वहीं भारत का R&D स्थिर बना हुआ है।
यूनेस्को के मुताबिक जारी आंकड़ों में अपने सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात का सबसे ज्यादा R&D पर खर्च करने के मामले में इजराइल देश पहले नंबर पर है। वर्ष 2015 में इजराइल ने अपनी जीडीपी का 4.28 फीसदी R&D पर खर्च किया। इसी प्रकार से जापान ने अपनी जीडीपी का 3.28 फीसदी, डेनमार्क 3.07 फीसदी, ऑस्ट्रिया 3.05 फीसदी, जर्मनी 2.92 फीसदी और चीन 2.06 फीसदी राशि R&D पर व्यय करते हैं। भारत इस मामले में बहुत पीछे है और वह अपने जीडीपी का मात्र 0.62 फीसदी ही R&D पर व्यय करता है।
लोकल सर्किल्स के फाउंडर और चेयरमैन सचिन तापड़िया ने R&D पर कहा है कि ‘भारत में सरकार और व्यवसायिक क्षेत्र दोनों मिलकर रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, ऐसी स्थिति में जब भी घरेलू इकोनॉमी की रफ्तार थोड़ी धीमी पड़ती है तो कारोबारियों के पास सीमित विकल्प होते हैं और वे सरकार से प्रोत्साहन पैकेज की मांग उठाना शुरू कर देते हैं। हमारी अधिकांश व्यवसायिक इकाइयां निचले और मध्यम दर्जे के उत्पादन और वैल्यू एडीशन के मामले में अच्छा काम करती हैं। लेकिन ग्राहकों को जिन नए और इनोवेटिव प्रोडक्ट की तलाश रहती है, उसका उनके पास हमेशा अभाव रहता है। इस स्थिति में तभी बदलाव संभव है जब सरकार और इंडस्ट्री एक साथ आकर एक एक्शन प्लान बनाकर इनोवेशन को प्रोत्साहित करें।’
दो दशक से नहीं बढ़ाया R&D खर्च
अगर हम भारत में खर्च R&D के आंकड़ों का अध्ययन करें तो वर्ष 1996 में भारत अपने जीडीपी के अनुपात में आर एंड डी पर 0.65 फीसदी राशि खर्च करता था, जबकि चीन का खर्च मात्र 0.56 फीसदी था। भारत ने इसमें कोई बढ़ोतरी नहीं कि लेकिन चीन ने हमें इस मामले में वर्ष 1999 में पीछे छोड़ दिया।