अंधेरे में आतंकवाद को खत्म करने में ‘नेत्र’ ने की थी मिराज की मदद

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पूरा देश इस समय भारतीय वायु सेना की तारीफ कर रहा है। हर कोई इस बात पर गर्व महसूस कर रहा है कि किस तरह भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान में घुसकर आतंकवादी ठिकानों को खत्म कर दिया। इस पूरे आॅपरेशन में सफलता का दिलाने का सेहरा फाइटर प्लेन मिराज के सिर बंध रहा है। लेकिन क्या आपको पता है कि कोई और भी है जिसने मिराज को निर्देशित किया ताकि वह अपने निशाने पर अचूक वार कर सके। हम बात कर रहे हैं ‘नेत्र’ की, जो एयरबोर्न अर्ली वॉर्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम है। स्वदेश में निर्मित इस सिस्टम को 2017 में वायुसेना में शामिल किया गय था।

ये हैं ‘नेत्र’ की खूबियां


‘नेत्र’ की खूबियों से भरा हुआ है, तब ही तो रात के अंधेरे में भी इसकी मदद से मिराज अपना काम करने में सफल हो सका। यह दुश्मन की मिसाइल और विमान को जमीन, समुद्र और आकाश में सैकड़ों किलोमीटर के दायरे में ढूंढ निकालने में सक्षम है। सुबह 3.30 बजे जब मिराज पाकिस्तानी आतंकियों के कैंपों को नेस्तेनाबूद कर रहा था तो उस वक्त नेत्र, गैर सैन्य पूर्व खाली इलाकों में रडार कवरेज मुहैया करा रहा था।

देता है हर तरह की जानकारी

‘नेत्र’ को डीआरडीओ ने विकसित किया गया है। इसमें स्वदेशी हार्डवेयर और इलेक्ट्रॉनिक्स का यूज किया गया है। बताया जाता है कि इसकी मदद से बिना बॉर्डर क्रॉस किए 450-500 किलोमीटर दूर से ही दुश्मन के ठिकानों को निशाना बनाया सकता है। यह दुश्मन के ठिकानों का 120 डिग्री व्यू दिखाता है। यह न सिर्फ रडार सिग्नल का पता लगा सकता है बल्कि दुश्मन के सशस्त्र बलों के बीच होने वाली बातचीत को सुन भी सकता है। खास बात ये है कि यह अपने साथ कोई खुफिया कैमरा नहीं ले जाता है बावजूद इसके वह इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस की सहायता से कमांडर्स को सारी जानकारी उपलब्ध करा सकता है।

तीसरे ‘नेत्र’ पर चल रहा काम

फिलहाल भारतीय वायुसेना के पास दो ‘नेत्र’ हैं और तीसरे पर काम चल रहा है। डीआरडीओ में इसे और एडवांस बनाने पर काम हो रहा है। 2007 में ‘नेत्र’ के विकास का काम 2460 करोड़ रुपए बजट के साथ शुरू किया गया था और 2017 में इसे भारतीय वायुसेना को सौंप दिया गया था। गौरतलब है कि ‘नेत्र’ एक बार में 5 घंटें तक लगातार उड़ान भर सकता है और हवा में ईंधन भरने के साथ यह नौ घंटे तक उड़ान भर सकता है।

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