पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए 40 से ज्यादा जवानों की शहादत का बदला भारत ने ले लिया है। इस हमले के 13वें दिन भारतीय वायुसेना न केवल पाकिस्तान की सरज़मीं पर घुसी, बल्कि पाक के बालाकोट में जैश-ए-मुहम्मद के आतंकी कैंपों पर जबरदस्त बमबारी की। ख़बरों के अनुसार इंडियन एयरफोर्स ने फाइटर एयरक्राफ्ट्स मिराज-2000 से 1000 किलोग्राम बम बरसाए, जिससे पाक के बालाकोट स्थित जैश-ए-मुहम्मद के आतंकी ठिकानों में तबाही मच गई। भारतीय वायुसेना ने 12 मिराज-2000 लड़ाकू विमानों से यह हमला किया।
दूसरी ओर भारत की इस कार्रवाई की तस्दीक पाक से भी हुई है। पाकिस्तान ने भारतीय वायुसेना पर एयर स्पेस के उल्लंघन का आरोप लगाया है। पाकिस्तान ने भी इस बार माना है कि भारत के विमानों ने बम बरसाए हैं। हालांकि डीजी आईएसपीआर मेजर जनरल गफूर ने ट्वीट कर इसे इंडियन एयरफोर्स के विमानों द्वारा अंतरराष्ट्रीय सीमा का उल्लंघन बताया है। उन्होंने ट्वीट में यह भी बताया कि भारतीय विमानों ने बालाकोट में कुछ बम गिराए हैं, हालांकि इससे किसी भी तरह के जान-माल का नुकसान नहीं हुआ है। जबकि वायुसेना के इस हमले में करीब 200-300 आतंकियों के मारे जाने का अनुमान लगाया जा रहा है। ऐसा कहा जा रहा है कि इंडियन एयरफोर्स द्वारा किए गए इस हमले में ‘सुदर्शन’ बम का इस्तेमाल किया गया है। आइये जानते हैं ‘सुदर्शन’ बम क्या है और इसकी क्षमता कितनी है?
भारत ने 2010 में तैयार किया था लेजर गाइडेड ‘सुदर्शन’ बम
अगर भारतीय वायुसेना द्वारा पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर गिराए गए 1000 किलो सुदर्शन बमों की बात की जाए तो ये बम भारत ने पहली बार अक्टूबर 2010 में तैयार किए थे। सुदर्शन बम पूरी तरह से स्वदेशी लेजर गाइडेड बम है। इसे बेहद घातक बमों में से एक माना जाता है। यह बम आईआरडीई द्वारा डीआरडीओ की लैब में तैयार किया गया था। डीआरडीओ ने इस प्रोजेक्ट की शुरूआत वर्ष 2006 में की थी। डीआरडीओ द्वारा इसे खासतौर पर एयरफोर्स के लिए तैयार किया गया है। इस बम को बनाने के पीछे डीआरडीओ का मकसद यह था कि एक ऐसी एडवांस्ड लेजर गाइडेड किट तैयार की जाए जो 450 किेलोग्राम बम को सटीक जगह पर गिराने में सक्षम हो। इस बम को बनाने में डीआरडीओ के साथ ही आईआईटी दिल्ली और बीईएल की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
ओडिशा के चांदीपुर में किया था सबसे पहला परीक्षण
डीआरडीओ निर्मित स्वदेशी सुदर्शन बम का पहला परीक्षण ओडिशा की चांदीपुर टेस्ट रेंज में किया गया था। चांदीपुर में पहला परीक्षण 21 जनवरी, 2010 को हुआ। इसके बाद 9 जून, 2010 को इसका दूसरा परीक्षण राजस्थान की पोकरण टेस्ट रेंज में किया गया था। इसके बाद इस बम की सटीकता को बढ़ाने पर जोर दिया गया। सबसे पहले सुदर्शन बम को भारतीय वायुसेना की मिग-27 यूनिट में शामिल किया गया। दूसरी बार में इसे जगुआर में शामिल किया। इसके बाद में सुखोई, मिराज-2000 और मिग-29 में भी इसको शामिल कर लिया गया।
अगर वर्तमान समय की बात करे तो सुदर्शन बम अब वायुसेना के साथ ही जलसेना में भी शामिल है। डीआरडीओ करीब 50 सुदर्शन लेजर गाइडेड बम सप्लाई कर चुका है। सुदर्शन बम की वर्तमान रेंज का दायरा करीब नौ किलोमीटर है। अब एडीई (एयरोनॉटिकल डवलपमेंट इस्टेबलिशमेंट) इसकी रेंज को 50 किमी तक बढ़ाने पर काम कर रही है। इसके अलावा एडीई नेक्सट जनरेशन के लेजर गाइडेड बम बनाने में लगा हुआ है। गौरतलब है कि मिराज-2000 द्वारा पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर बरसाए गए बम लेजर गाइडेड बम है। मिराज विमान हाई-एल्टीट्यूड से बम गिराने में माहिर है।
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