मौसम का पूर्वानुमान लगाने वाली निजी एजेंसी स्काईमेट ने मंगलार को कहा कि इस साल देश में औसत मानसून बारिश होने की संभावना है। इसके चलते एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में उच्च कृषि व आर्थिक विकास की संभावना है।
देश में कई फसलें निर्भर होती है मानसून की बारिश पर
स्काई मेट ने कहा, मानसून में लंबी अवधि के औसत की 98 फीसदी बारिश होने की उम्मीद है। 65 फीसदी संभावना है कि भारत में औसत बारिश होगी। दिल्ली का मौसम विभाग चार महीने के मानसून सत्र के लिए बीते 50 साल के औसत 88 सेंटीमीटर बारिश के 96 से 104 फीसदी को औसत या सामान्य के तौर पर परिभाषित करता है।
हालांकि इस साल मानसून को लेकर सरकारी मौसम विभाग इस महीने के अंत तक अपना वार्षिक पूर्वानुमान जारी करेगा। भारत की लगभग आधी कृषि भूमि, जिसमें सिंचाई की कोई व्यवस्था नहीं है, चावल, मक्का, गन्ना, कपास और सोयाबीन जैसी फसलों के लिए मानसून की बारिश निर्भर करती है।
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