भारत में है दुनिया के 400 करोड़ लोगों के एक चौथाई प्यासे लोग, पढ़े पूरी रिपोर्ट

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आज 22 मार्च है और पूरी ​दुनिया में ‘वर्ल्ड वॉटर डे’ यानि विश्व जल दिवस मनाया जा रहा है ताकि लोगों को भविष्य में आने वाले जल संकट से परिचित करवाया जा सके और पानी का उपयोग मितव्ययी तरीके से करने के लिए जागरूक किया जा सके। ​यदि हम जल संरक्षण के प्रति अभी जागरूक नहीं बने तो फिर हमारे पास मात्र पछताने के सिवाय कुछ नहीं बचेगा।

वर्तमान में पूरी दुनिया की आबादी में से 400 करोड़ ऐसे लोग हैं जिन्हें आज भी पर्याप्त मात्रा में पीने का पानी नहीं मिलता है और इनमें भी सबसे ज्यादा एक चौथाई लोग भारत के हैं।

आज सारी दुनिया में पानी गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है और पानी का संकट कोने-कोने में व्याप्त है। अगर मानव के विकास की बात करें तो वह भौतिक क्षेत्र में कामयाब है और औद्यो​गीकरण तेज रफ्तार पकड़े हुए है, बिना पानी के हम पंगु से नजर आ रहे हैं क्योंकि जब लोगों को स्वच्छ पानी नहीं मिलेगा तो वे अनेक बीमारियों से ग्रसित हो जाएंगे।

1993 से मनाना शुरू किया ‘विश्व जल दिवस’

‘विश्व जल दिवस’ के द्वारा लोगों में जागरूकता लाने के लिए पर्यावरण तथा विकास का संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन की पहल पर वर्ष 1993 से इसे मनाया जा रहा है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य लोगों के बीच में जल का संरक्षण करने और पीने का स्वच्छ पानी के महत्व को बताना था।

ब्राजील में रियो डी जेनेरियो में वर्ष 1992 में आयोजित पर्यावरण तथा विकास का संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन कार्यक्रम में विश्व जल दिवस मनाने की पहल की गई थी। परिणामस्वरूप 1993 में 22 मार्च को पहली बार “विश्व जल दिवस” का आयोजन किया गया।

भारत में गिर रहा है भू जलस्तर

वॉटर एंड संस्था की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के कुल भू जलस्तर का 24 फीसदी पानी का उपयोग भारतीय करते हैं। देश में 1170 मिमी औसत बारिश होती है, लेकिन हम इसका सिर्फ 6 फीसदी पानी ही सुरक्षित रख पाते हैं।

एक रिपोर्ट में भारत को चेतावनी दी गई है कि यदि भूजल का दोहन नहीं रूका तो देश को बड़े जल संकट का सामना करना पड़ सकता है। 75 फीसदी घरों में पीने के साफ पानी की पहुंच ही नहीं है। केंद्रीय भूगर्भ जल बोर्ड द्वारा तय मात्रा की तुलना में भूमिगत पानी का 70 फीसदी ज्यादा उपयोग हो रहा है।

सालाना 250 अरब घन मीटर भूजल निकालने के साथ भारत दुनिया में सर्वाधिक भूजल इस्तेमाल करने वाला देश बन गया है। देश में भूजल के तकरीबन 16 ब्लॉक ऐसे हैं जो गंभीर स्थिति में हैं और जहां पानी का दोहन क्षमता से अधिक हो चुका है।

स्वीकारते सब है, जल ही जीवन है।
पर कितना बचाते हैं जल अपने जीवन में…

मानव जीवन ही नहीं, प्रकृति के सभी जीवों के लिए पानी बेहद जरूरी है। जहां पशु—पक्षियों और पेड़ों के लिए पानी केवल प्यास बुझाने में जरूरी है। पर मानव जीवन में बहुत सारे काम बिना पानी के संभव नहीं है।

जब हम इस बात से परिचित है उसके बाद भी अपने आने वाले कल की चिंता से हम बेखबर हैं और पानी को व्यर्थ ही बहा रहे हैं।

जैसे —
वाहनों को धोने में ज्यादा पानी बहाते हैं
महानगरों में पाइप लाइनों के वॉल्व की खराबी के कारण रोज 17 से 44 प्रतिशत पानी बेकार बह जाता है।
अक्सर हम अपने घरों के नल से टपकते पानी को देखकर भी अनदेखा कर देते हैं।
सेविंग करते समय और नहाते समय भी हम नल को बंद करने में लापरवाही करते हैं।

हमें पानी का संरक्षण करने के लिए जहां कहीं भी बेकार में पानी बहता दिखे तो उसे रोकने का पूरा प्रयास करना होगा। तभी जाकर हम पानी की किल्लत से निपट सकते हैं।

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