लाखों में नकद लेनदेन पर निगरानी बढ़ाने के लिए आयकर विभाग ने एक नई कवायद शुरू कर दी है। दरअसल, म्यूचुअल फंड और इक्विटी में पैसे लगाने वाले निवेशक अगर किसी वित्त वर्ष में 10 लाख रुपये से ज्यादा की राशि नकद में डालते हैं, तो इनकम टैक्स विभाग उन्हें नोटिस जारी कर सकता है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड यानि सीबीडीटी के अनुसार, निवेशक को अगर ज्यादा राशि म्यूचुअल फंड या शेयर बाजार में लगानी है, तो बेहतर होगा कि वह डिजिटल तरीके से निवेश करे। निवेशक भले ही नकदी के लेनदेन की जानकारी नहीं देता, लेकिन आयकर विभाग संबंधित संस्थान की बैलेंस शीट के जरिए बड़ी राशि के लेनदेन का पता लगा लेता है और संबंधित करदाता से स्पष्टीकरण की मांग कर सकता है।
10 लाख से ज्यादा के निवेश पर आयकर विभाग रहती है नज़र
सेबी के नियमों की बात करें तो जब कोई भी निवेशक म्यूचुअल फंड में एक वित्त वर्ष के दौरान अगर 10 लाख से ज्यादा राशि डालता है (भले ही डिजिटल तरीके से भुगतान किया हो) तो आयकर विभाग की नजर में आ जाता है। हालांकि, संबंधित निवेशक का आईटीआर अगर इस राशि से ज्यादा पैसे लगाने की अनुमति देता है, तो उसे डिजिटल तरीके से ही भुगतान करना चाहिए।
अनिश्चितता के दौर में सिप के जरिए स्टॉक में पैसे लगाना बेहतर
पीएन फिनकैप के सीईओ एके निगम ने निवेशकों को सलाह दी है कि जब शेयर बाजार में भारी अनिश्चितता का दौर चल रहा हो, तो सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान यानि सिप के जरिए स्टॉक में पैसे लगाना बेहतर होता है। ऐसे माहौल में अगर निवेशक बाजार में सीधे एकमुश्त निवेश करते हैं, तो जोखिम बढ़ सकता है। उन्होंने कहा कि वैसे तो खुदरा निवेशकों के लिए इक्विटी सिप में पैसे लगाना शेयर बाजार में प्रवेश करने का सबसे बेहतर विकल्प होता है, लेकिन यह म्यूचुअल फंड सिप से पूरी तरह अलग होता है।
इसके जरिए निवेशक हर सप्ताह, पाक्षिक या मासिक आधार पर स्टॉक खरीद सकते हैं। ब्रोकरेज या फंड हाउस एक निश्चित संख्या अथवा राशि के शेयर खरीदने की अनुमति देते हैं। अगर निवेशक चाहें तो एक ही स्टॉक के कई शेयर ले सकता है या अलग-अलग कंपनियों के शेयर खरीदकर अपना पोर्टफोलियो बना सकता है।
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