अपने शहर में बहुत से मल्टी स्टोरी फ्लैट्स बनते देखे हैं परंतु पक्षियों के लिए मल्टी स्टोरी फ्लैट्स बनाए जा रहे हैं। यह सुनकर जरूर अजीब लगेगा लेकिन यह सच है परिंदों के लिए भी देश की राजधानी दिल्ली के समीप स्थित गाजियाबाद शहर में अब इंसानों की तरह ही बहुमंजिला इमारतें बनाई जा रही हैं। जिनमें परिंदों के रहने की व्यवस्था की गई है, इस मंजिल का नाम ‘बर्ड फ्लैट’ दिया गया है।
गाजियाबाद विकास प्राधिकरण की पहल
गाजियाबाद में देश का पहला बर्ड फ्लैट बनकर तैयार है जिसमें इंसान नहीं पक्षी रहेंगे। यह पहल गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (GDA) ने की है और पक्षियों के लिए फ्लैट बनाए हैं। इस बर्ड फ्लैट्स को जीडीए उपाध्यक्ष के आधिकारिक आवास पर बनाए गए हैं। इस फ्लैट को लोहे के खंभे पर बनाया गया है। इसकी सुरक्षा के लिए ऊपर से छतरी बनाई गई है। इस फ्लैट में 60 परिंदों के रहने की व्यवस्था की गई है।
जीडीए की वाइस चेयरपर्सन ने निजी बिल्डर्स से अपील करते हुए कहा है कि ‘शहर में बर्ड फ्लैट बनाने के पीछे हमारा मकसद प्रकृति के साथ अपार्टमेंट में रहने वाले लोगों की निकटता बढ़ाना है। परिंदों के निवास के लिए इस फ्लैट को बनवाने में 2 लाख रुपए की राशि खर्च हुई है। हम लोग प्राइवेट बिल्डर्स से गुजारिश करेंगे कि वे कम से कम इस तरह के पक्षियों के रहने के लिए एक फ्लैट जरूर बनाएं।’
Kanchan Verma, GDA vice chairperson says,"Our aim to build the 'bird-flat' is to increase closeness of people living in apartments with nature. Cost of the structure is around Rs 2 lakh. We will request private builders to build at least one such structure in their buildings." https://t.co/lH6ggtce1V pic.twitter.com/QwHMPv9gG9
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) September 21, 2019
ताकि पक्षी रहें सुरक्षित
गाजियाबाद विकास प्राधिकरण का पक्षियों के लिए मल्टी स्टोरी फ्लैट्स बनाने के पीछे कारण यह है कि इस फ्लैट्स में पक्षियों को बारिश, ठंड और धूप से बचाया जा सके। इस फ्लैट को लोहे के खंभे पर बनाया गया है और ऊपर छतरी बनाई गई है। यही नहीं इस फ्लैट में पानी और नहाने के लिए पूल भी बनाया गया है जिसमें पक्षी अपनी प्यास बुझा सकेंगे और नहा सकेंगे। पानी को नियमित रूप से बदलने की व्यवस्था की गई है। इसमें सुबह-शाम दाना भी डाला जाएगा। जीडीए अधिकारी के मुताबिक, इस प्लैट का निर्माण दो महीने से किया जा रहा था।