देश में किसी दुर्घटना में ड्राइवर को नशे ही हालात में पाए जाने या किसी दुर्घटना में मौत होने पर उसकी मेडिकल रिपोर्ट में उसके शराब पीने की पुष्टि होती है तो मुआवजा के दावे को बीमा कंपनी नकार सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक मामले में कहा है कि अगर ड्राइवर ने शराब पी रखी है तो दुर्घटना होने की स्थिति में बीमा कंपनी को दावा नकारने का हक है। सर्वोच्च अदालत ने करीब 14 साल पहले इंडिया गेट के पास दुर्घटनाग्रस्त हुई एक लग्जरी कार (पोर्शे) के दावे के मामले में यह अहम टिप्पणी की।
एनसीडीआरसी के फैसले के खिलाफ कोर्ट पहुंची थी कंपनी
न्यायाधीश यूयू ललित, जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ ने इस मामले में राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) के फैसले को दरकिनार करते हुए कहा, अगर गाड़ी चलाने वाला व्यक्ति नशे में हो या फिर से ड्रग्स ली हो तो बीमा कंपनी इफको टोकियो जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को बीमा करार की धारा (2सी) की आड़ में तब जवाबदेह नहीं ठहराया जा सकता। बता दें, आयोग ने उस वक्त अपने फैसले में बीमा कंपनी के दावे से मुकरने को गलत ठहराया था। आयोग के फैसले के खिलाफ बीमा कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। इसके बाद अब 181 पेज का फैसला लिखने वाले जस्टिस जोसेफ ने ब्रिटेन, स्कॉटलैंड और अमेरिकी कानूनों व चिकित्सीय साक्ष्यों का हवाला भी दिया।
13 साल से ज्यादा पुराना है दुर्घटना मामला
आपको जानकारी के लिए बता दें कि यह लग्जरी कार पोर्शे पर्ल बेवरेजेस लिमिटेड कंपनी की थी, जिसे 22 दिसंबर, 2007 की सर्दियों में घटना के वक्त अमन बंगिया नाम का शख्स चला रहा था। आरोप है कि अमन बंगिया ने तब शराब पी रखी थी और लापरवाही से कार चलाते हुए उसने इंडिया गेट में चिल्ड्रन पार्क के पास एक फुटपाथ से टकरा दी, जिससे कार पलट गई और उसमें आग लग गई। इस दुर्घटना में कार पूरी तरह से बर्बाद हो गई थी। बाद में बेवरेजेस लिमिटेड कंपनी ने मुआवजा का दावा किया था।
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