गर्मी का मौसम आते ही हमें फलों के राजा आम की मिठास आकर्षित करने लग जाती है और शुरूआत में महंगे होने के बाद भी कई लोग उसे खरीदकर खाना पसंद करते हैं। अक्सर आम के पेड़ पर फल तो काफी दिनों बाद पकते हैं, फिर ये आम बाजार में इतने जल्दी कैसे आ जाते हैं। सोचा कभी आपने?
हां, बहुत लोगों को पता भी होगा और जिन्हें पता नहीं वे आज जरूर जाने लें, क्योंकि फलों को पकाने के लिए अनेक रसायनों (केमिकल्स) का प्रयोग किया जाता है, जो हमारे शरीर के लिए अत्यंत हानिकारक हैं।
अगर आप बाजार फल खरीदने जा रहे हैं, तो प्राकृतिक तरीके से पके और रसायन से पके फलों में कैसे पहचान करें, इसके लिए इन बातों को ध्यान में रखना जरूरी हैं:
- रसायन से पकाए गए फलों पर धब्बा और कृत्रिम चमक रंग के कारण होती है।
- यही नहीं जो आम कार्बाइड द्वारा पकाए जाते हैं। इसके उपयोग के कारण दो से तीन दिनों के अंदर आम का रंग पीले से काला होने लगता है।
- कार्बाइड के उपयोग से पकाए फलों का स्वाद मध्य में मीठा और किनारों पर कच्चा होता है। इसलिए हो सके तो बिना दाग—धब्बे वाले फल और सब्जी खरीदें।
- प्राकृतिक रूप से पके केले का डंठल यानी ऊपरी हिस्सा काला पड़ जाता है और केला पीला होता है व उस पर भूरे रंग के धब्बे पड़ जाते हैं।
- फल व सब्जियों को खाने से पहले छीलना कीटनाशक का प्रभाव कम करता है।
ऐसा नहीं है रसायन का उपयोग केवल फलों को पकाने के लिए ही होता है, बल्कि इनका उपयोग फलों के आकार और उनका वजन बढ़ाने के लिए भी किया जाता है।
फलों व सब्जियों को तरोताजा रखने, चमकाने व इन्हें ज्यादा दिन तक उपयोग में लाने के लिए मोम और कृत्रिम रंगों का इस्तेमाल करते हैं।
कार्बाइड से है फलों को पकाने पर प्रतिबंध
अक्सर विभिन्न किस्म के फलों को समय से पहले पकाने के लिए कार्बाइड के इस्तेमाल पर खाद्य संरक्षा व मानक अधिनियम-2011 की धारा 2.3.5 के अंतर्गत भारत सरकार ने प्रतिबंध लगा रखा है। इसका भंडारण, बिक्री, मार्केटिंग या आयात करने वालों के लिए सजा का प्रावधान भी किया गया है। अधिनियम के अनुसार किसी भी फल को रसायन के उपयोग करके नहीं पकाया जा सकता।
अगर आपको कोई भी फल बेचने वाला कार्बाइड से फल पकाते नजर आये, तो इसकी सूचना विभाग को दी जा सकती है।