आइसीजे ने चागोस द्वीप समूह पर ब्रिटेन के दावे को किया खारिज, क्या है इसका इतिहास

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एक समय था जब ब्रिटेन का सूर्य अस्त नहीं होता था यानि 19वीं सदी के पूर्वाद्ध तक विश्व के अनेक देश उसके उपनिवेश थे। लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ही कुछ वर्षों में सभी देशों को उसने आजाद कर दिया था। पर इन दिनों ब्रिटेन एक द्वीप को लेकर फिर चर्चित है और उसके दावे को अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (आइसीजे) ने खारिज कर दिया है।

हम बात कर रहे हैं ब्रिटेन के शासन वाले चागोस द्वीप समूह की जिस पर अमेरिका का डिएगो गार्सिया सैन्य अड्डा है।

अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आइसीजे) ने हिंद महासागर में स्थित चागोस द्वीप समूह पर ब्रिटेन के दावे को खारिज करते हुए ब्रिटेन को जल्द से जल्द द्वीप समूह को खाली करने का आदेश भी दिया है।

मॉरिशस के दावे का भारत ने किया था समर्थन
मॉरिशस ने चागोस द्वीप समूह पर दावा जताते हुए आइसीजे में अपील की थी। पिछले साल सुनवाई के दौरान भारत ने मॉरिशस के दावे का समर्थन किया था। मॉरिशस को 1968 में ब्रिटेन से आजादी मिली थी। लेकिन उससे पहले ही 1965 में ब्रिटेन ने मॉरिशस से चागोस द्वीप समूह को अलग कर दिया था।

आइसीजे ने अपने फैसले में कहा है कि द्वीप समूह को कानूनी तरीके से मॉरिशस से अलग नहीं किया गया था। बल्कि मॉरिशस से उसे अलग करने की कार्रवाई गैर-कानूनी थी। ब्रिटेन के शासन वाले इस द्वीप समूह पर अमेरिका का डिएगो ग्रैसिया सैन्य अड्डा है।

आइसीजे अध्यक्ष अब्दुलकवी अहमद युसूफ ने कहा है कि द्वीप समूह से अपना शासन जल्द से जल्द खत्म करना ब्रिटेन का कर्तव्य है। मॉरिशस सरकार ने पिछले साल सुनवाई के दौरान कहा था कि चागोस द्वीप समूह को जबरन उससे लिया गया था। जबकि, ब्रिटेन ने कहा था कि इस मामले पर सुनवाई करने का आइसीजे को अधिकार ही नहीं है।

सुनवाई के दौरान भारतीय राजदूत वेणु राजमोनी ने कहा था कि ऐतिहासिक सर्वेक्षण से साफ है कि उपनिवेशवाद से पहले और बाद के समय में भी यह द्वीपसमूह मॉरिशस का अभिन्न हिस्सा रहा है।


चागोस द्वीपसमूह का इतिहास
चागोस हिंद महासागर के मध्य भाग में स्थित सात एटॉलों (मूंगे या प्रवालों द्वारा बनायी चट्टानों से निर्मित द्वीपों का समूह) का समूह है। यह 60 से अधिक द्वीपों का समूह है। चागोस द्वीपसमूह मालदीव से लगभग 500 किलोमीटर दक्षिण में है।

18वीं शताब्दी से चागोस द्वीप समूह मॉरीशस का हिस्सा रहा है। जब मॉरीशस फ्रांस का उपनिवेश था तब 1810 में फ्रांस और ब्रिटेन के बीच समझौता हुआ जिसमे फ्रांस से सभी द्वीपसमूह ब्रिटेन को दे दिए।

मॉरीशस को 1968 में ब्रिटेन से आजादी मिल गई थी, लेकिन आजाद करने से पूर्व ही 1965 ई. में ब्रिटेन ने मॉरीशस से चागोस द्वीप समूह को अलग कर दिया था।

मॉरीशस चागोस द्वीपसमूह को अपना हिस्सा मानता है लेकिन इस पर ब्रिटेन का कब्जा है और उसने वहां से करीब 2000 निवासियों को जबरन विस्थापित कर दिया। इस पर 1967 में अमेरिका को नौसैनिक अड्डा बना लिया। यह सैन्य अड्डा चागोस द्वीपसमूह के मुख्य द्वीप डिएगो गार्सिया पर बना हुआ है।

यह मॉरीशस की प्राचीनतम विरासतों में से एक है अतः वह इसे वापस चाहता है। 2010 में ब्रिटेन ने चागोस द्वीपसमूह के आसपास मछली पकड़ना, घूमना आदि पर प्रतिबंध लगा दिया था। तब मॉरीशस ने काफी आवाज उठाई थी।

मॉरीशस ने इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में दावा किया है कि इस द्वीप समूह पर 18वीें शताब्दी से ही उसका अधिकार था लेकिन 1965 में अतर्राष्ट्रीय मानकों का उल्लंघन कर इसे ब्रिटेन ने हड़प लिया।

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