क्यों भारत में स्मार्टफोन सेक्स की परिभाषा को ही बदलने पर उतारू हो रहे हैं

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भारत में वायरल हो रहे बलात्कार के वीडियो परेशान करने वाले हैं। लोगों का मानना है कि यह हिंसक पोर्न के संपर्क में आने से हो रहा है जिसके लिए जिम्मेदार है सस्ता इंटरनेट और स्मार्टफोन। सेक्स एजुकेशन की कमी के कारण लोग सेक्सुअल वोइलेंस की ओर जा रहे हैं।

इस साल की शुरुआत में ही एक किशोर लड़कों के ग्रुप का वीडियो वायरल हुआ जिसमें वे एक युवती के कपड़े उतारने की कोशिश कर रहे थे। भारत में व्हाट्सएप पर बड़े पैमाने पर इस वीडियो को शेयर किया गया।

वीडियो में लड़की उन लड़कों को “भैया” बोलकर रूकने की रिक्वेस्ट कर रही है लेकिन सभी लड़के हंस रहे थे और नहीं रूके।

जैसे ही वीडियो वायरल हुआ। पुलिस को यह पता चल गया कि वीडियो उत्तरी राज्य बिहार के एक गांव का था। आरोपी किशोरों को गिरफ्तार कर लिया गया।

पूरी घटना से पूरे पटना जिले में सनसनी फैल गई और गांव के लोगों ने स्मार्टफोन को इसका जिम्मेदार ठहराया। भारत में अश्लील सामग्री बनाना या उसे शेयर करना गैरकानूनी है।

लेकिन सस्ते डेटा और स्मार्टफोन की बदौलत पोर्नोग्राफी तक पहुंचना आसान हो जाता है लेकिन चिंता इस बात की है कि इस पोर्नोग्राफी से सेक्स और रिश्तों की कोई सार्थक समझ नहीं पैदा होती।

गांव के स्थानीय लड़कों ने स्वतंत्र रूप से मीडिया से बात करते हुए स्वीकार किया कि वे छेड़छाड़ और बलात्कार के वीडियो देखते थे। एक 16 साल के लड़के ने कहा कि उसने 25 से अधिक ऐसे वीडियो देखे हैं, जो उनके दोस्तों ने अक्सर उसे अपने स्मार्टफोन पर शेयर किए हैं।

वहां के स्थानीय लड़कों का कहना है कि उनके दोस्त अक्सर उन्हें इस तरह के वीडियो दिखाते हैं। इसका मानसिक खतरा क्या होता है इस पर कई तरह के रिसर्च तक किए गए हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि सेक्स का इस तरह का इंटरएक्शन कई भारतीय पुरूषों के व्यवहार में बुरी चीजें लाती है।

फिल्मकार और लेखिका पारोमिता वोहरा कहना है कि हम सेक्स एजुकेशन नहीं दे रहे हैं या इन चीजों के बारे में बातचीत नहीं कर रहे हैं। पारोमिता इश्क (रोमांस) की वेबसाइट एजेंट्स चलाती है, जो सेक्स के बारे में खुली चर्चा को प्रोत्साहित करती है। आगे उन्होंने कहा कि जब लोग केवल हिंसक पोर्न कंटेंट देखते हैं तो यह बहुत ही घृणित है क्योंकि वे मानते हैं कि हिंसा सुख पाने का एकमात्र तरीका है और यह महिला सहमति जरूरी भी नहीं है।

भारत में 400 मिलियन स्मार्टफोन उपयोगकर्ता हैं और उनमें से आधे से अधिक व्हाट्सएप का उपयोग करते हैं जो कि अक्सर ऐसे वीडियो साझा करने के लिए उपयोग किया जाने वाला माध्यम है।

व्हाट्सएप का कहना है कि इन भयावह बलात्कार वीडियो और बाल पोर्नोग्राफ़ी का हमारे प्लेटफ़ॉर्म पर कोई स्थान नहीं है। इसीलिए हमने इस तरह की समस्याओं की रिपोर्ट करना आसान बना दिया है, ताकि हम अकाउंट्स पर प्रतिबंध लगाने सहित उचित कार्रवाई कर सकें।

पोर्न बैन

एक मामले के बाद जिसमें कुछ युवकों ने अपने मोबाइल फोन पर कथित तौर पर पोर्न देखने के बाद एक छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार किया। उत्तरी राज्य उत्तराखंड की एक अदालत ने संघीय सरकार से हिंसक पोर्नोग्राफी की मेजबानी करने वाली वेबसाइटों पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2015 के प्रतिबंध को बहाल करने के लिए कहा। एक बड़े लेवल पर इस घटना पर विरोध हुआ.

प्रतिबंध केवल कुछ 800 वेबसाइटों पर लागू हुआ जिनमें हिंसक या अपमानजनक वीडियो होते हैं। ऐसा नहीं लगता कि इसका बहुत असर हुआ है।

ब्लॉक होने के दिनों में सबसे बड़ी पोर्नोग्राफी वेबसाइटों में से एक ने पहले ही अपने भारतीय बाजार के लिए एक अलग URL के साथ एक मिरर साइट स्थापित की थी।

लेकिन क्या पोर्न पर प्रतिबंध लगाने से कुछ होगा?

कई लोग मानते हैं कि यह यौन शिक्षा की कमी है जो हिंसक और गलत वीडियो की भूख को बढ़ा रही है। अक्सर पुरुषों और महिलाओं दोनों में ही यौन संबंध या इस अनुभव को लेकर कोई गहरी समझ नहीं है।

इसे बदलने के लिए सरकार ने 2009 में कोशिश की जब उसने अपना किशोर शिक्षा कार्यक्रम (AEP) शुरू किया। इसने किशोरावस्था में बदलाव और लिंग, कामुकता, यौन संचारित रोगों और नशीली दवाओं के दुरुपयोग के बारे में मिथकों को दूर करने की कोशिश की।

लेकिन कार्यक्रम को लागू करना एक चुनौती है। उदाहरण के लिए, जहानाबाद के एक ऑल-गर्ल्स स्कूल में, प्रिंसिपल तक ने कभी इस प्रोग्राम के बारे में नहीं सुना।

बड़ा बाजार

दक्षिणी शहर हैदराबाद की एक संस्था प्रजवाला की संस्थापक सुनीता कृष्णन का कहना है कि ये हिंसक वीडियो उस पुरानी धारणा को मजबूत करते हैं जिसमें एक महिला की पसंद को कुछ नहीं समझा जाता है।

भले ही सरकार द्वारा कई तरह के बैन लगा दिए हों लेकिन जो एक चीज वायरल हो जाती है उसको सब जगह से मिटा पाना नामुमकिन होता है।

बिहार के 40 सांसदों में से केवल तीन महिलाओं में से एक रंजीत रंजन का कहना है कि इस तरह के वीडियो के बारे में चिंता की कमी चिंताजनक है। कोई भी वास्तव में परवाह नहीं करता है। यदि लोग इन लड़कियों के लिए थोड़ा भी सम्मान करते हैं तो वे इस तरह के वीडियो शेयर करने के बजाय पुलिस स्टेशन जाएंगे।

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