एक खिलाड़ी की जिंदगी में खेल की अहमियत उसकी निजी जिंदगी से भी बढ़कर होती है और जब उसे अपने इस जज्बे को दुनिया के सामने साबित करना होता है तो वह पूरे जोश के साथ मैदान में उतरता है। भारतीय महिला हॉकी खिलाड़ी लालरेमसियामी इसकी जीती जागती मिसाल है।
हिरोशिमा में हुए भारतीय टीम ने एफआईएच सीरीज महिला फाइनल्स हॉकी टूर्नमेंट में खिताबी मुकाबला जीत लिया है। इस जीत का असली चेहरा लालरेमसियामी है।
19 साल की लालरेमसियामी का फाइनल मैच खेलना इसलिए इतना चर्चा में है क्योंकि मिजोरम से आने वाली इस खिलाड़ी ने फाइनल खेलने का फैसला तब किया जब उनके पिता की मौत हो गई । अपने पिता की आखिरी यात्रा में जाने के बजाय वह टीम के साथ मैदान पर उतरी और विपक्षी टीम को 4-2 से मात दी।
सोशल मीडिया पर लालरेमसियामी का यह फैसला लोगों के लिए एक मिसाल बन गया। आपको बता दें कि लालरेमसियामी के पिता की मौत बीते शुक्रवार को हार्ट अटैक की वजह से हो गई। टीम ने फाइनल की जीत को लालरेमसियामी के पिता को समर्पित कर सलाम किया।
टीम में सियामी नाम से फेमस लालरेमसियामी का खेल के लिए जज्बा और जुनून देखकर हर कोई उनका कायल हो गया है। जब वह अपने घर पहुंची तो वहां मिजोरम सरकार के कई अधिकारी पहले से मौजूद थे। लालरेमसियामी की मां अपनी बेटी को देखकर बिलख पड़ी और उसे गले लगाकर खूब रोई।
सोशल मीडिया पर लोग उनकी तारीफ करते नहीं थक रहे हैं। आखिरी एक और बात, किसी भी खिलाड़ी के लिए देश या टीम सबसे बढ़कर होता है, जब वह मैदान में होता है तो सिर्फ उस खेल का होता है, ऐसे में हमारी सरकारों को खिलाड़ियों के इस जज्बे को खानापूर्ति सलाम ना करते हुए इनके प्रोत्साहन को बढ़ाने की ओर प्रयास करने चाहिए।