जिस टमाटर को आज शौक से खाते हो कभी उस पर थे “खून” के इल्जाम

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टमाटर के बारे में कितना जानते हो? टमाटर को लोग जितना अब पसंद करते हैं उस से कहीं ज्यादा इतिहास में इसे बद्दुआ दी जाती थी। टमाटर को हम बहुत ज्यादा पहले से नहीं खाते आ रहे हैं। सन् 1700 की ही बात है जब लगभग सारा यूरोप टमाटर से खौफ खाता था। एक निक नेम भी टमाटर को दिया जा चुका था उसे लोग जहरीला सेब (पॉइजन एप्पल) कहा करते थे।

उस वक्त के रईस लोग सोचते थे कि टमाटर खाकर वे बीमार पड़ रहे हैं और कई मौतें भी सामने आई। इसके बाद लोगों में टमाटर को लेकर डर बैठ गया। रईस लोगों को क्या पता था सच्चाई कुछ और ही थी। रईस लोग इतने भी समझदार नहीं होते। अमीरों के अलग शौक होते हैं। हुआ यूं कि खाने के लिए वे इस्तेमाल करते थे प्यूटर की प्लेटें। प्यूटर जस्ता होता था जिसमें होता था लेड।

चूंकि टमाटर खट्टा होता है यानि एसिडिक होता है। अमीर लोग इसको सीसे से बनी प्लेट पर रख देते थे। फिर इससे बनता था जहर जिसके कारण ये लोग बीमार पड़ते और मर भी जाते। अब लोगों ने प्लेट पर ध्यान ही नहीं दिया और गुनेहगार बना दिया बेचारे टमाटर को।

1880 के आसपास नेपल्स में पिज्जा की खोज हुई। फिर क्या होना था यूरोप में टमाटर की लोकप्रियता बढ़ गई लेकिन इंग्लैंड और अमेरिका में अभी भी गलतफहमी जारी थी। टमाटर पर बस खाली वो प्लेट वाला गुनाह नहीं था उस वक्त लोग उसे घातक नाइटशेड समझते थे इसे सोलनैसी पौधों के जहरीले परिवार से माना जाता था जिसमें ट्रोपेन एल्कलॉइड नाम का जहर होता है।

वैसे 1820 को टमाटर को क्लीन चिट दे दी गई थी। 28 जून तक ये धारणा लोगों की थी कि ये जहरीला होता लेकिन इस दिन के बाद इस बात मुहर लग गई कि टमाटर को खाया जा सकता है। उसके बाद जो हुआ आपको पता ही है तरह तरह के प्रोडक्ट इससे बनने लगे और पिज्जा में भी इसको काम में लिया गया। गलतफहमियां धीरे धीरे दूर हुईं।

इतने सालों से जो गुनाह टमाटर के मत्थे लगा हुआ था वो 1820 में जाकर हटा और टमाटर को बेगुनाह साबित किया गया।

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