भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगी एक बार फिर पांच साल के लिए सरकार बनाने के लिए तैयार हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव ने एक स्पष्ट संदेश भेजा है और यही है कि हिंदुत्व अब भारत में मुख्यधारा है।
2014 में, भाजपा ने “विकास” और नरेंद्र मोदी के करिश्मे के साथ चुनाव लड़ा। नतीजा यह निकला कि बीजेपी को 543 सीटों में से 282 का स्पष्ट बहुमत मिला वहीं राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को भाजपा के नेतृत्व में कुल 336 सीटें मिलीं।
हालांकि मोदी सरकार के पांच वर्षों में विकास की बात कहीं पीछे छूटी वहीं हिन्दुत्व पर डिबेट तेज रही। गाय पर चर्चा, मुसलमानों और दलितों के खिलाफ बढ़ती हिंसा और अल्पसंख्यक समूहों में भय और हाशिए की भावना में तेजी से वृद्धि हुई।
इस डर को दूर करने के लिए मोदी सरकार ने भाजपा में हिंदुत्व कट्टरपंथियों को गले लगाया। दरअसल, 2014 में जो चरमपंथी जीते थे वे अब और भी बड़ी संभावनाओं के साथ वापसी करने को तैयार हैं।
हिंदुत्व के विचारकों प्रज्ञा ठाकुर, साक्षी महाराज, गिरिराज सिंह और अनंतकुमार हेगड़े को इस बार जनता द्वारा संसद में भेजा गया है।
अनंतकुमार हेगड़े
कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ निर्वाचन क्षेत्र से पांच बार के सांसद हेगड़े कौशल विकास उद्यमिता राज्य मंत्री हैं। वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्य होने के साथ-साथ इसके छात्रसंघ, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के भी सदस्य रहे हैं। मुसलमानों और दलितों के खिलाफ घृणित टिप्पणी करने का उनका लंबा इतिहास है।
2016 में हेगड़े को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिए बयान पर हेट स्पीच के आरोप का सामना करना पड़ा था। हेगड़े ने कहा था “जब तक इस्लाम है, दुनिया में शांति नहीं होगी” जनवरी 2018 में उन्होंने दलित प्रदर्शनकारियों की तुलना “कुत्तों के भौंकने” से की जिसके बाद उन्हें काफी आलोचना का सामना करना पड़ा था।
जनवरी में हेगड़े ने आगरा में ताजमहल को एक मंदिर बताया और कहा कि यह एक तेजो महल हुआ करता था। जब कर्नाटक कांग्रेस के प्रमुख दिनेश गुंडु राव ने इसके लिए उनकी आलोचना की तो हेगड़े ने उन्हें “एक मुस्लिम महिला के पीछे भागने वाला” कहा।
हेगड़े ने 2014 का चुनाव 1.4 लाख मतों के अंतर से जीता। उन्होंने इस साल और भी बढ़िया प्रदर्शन किया और जनता दल (सेक्युलर) के आनंद आसनटीकर को चार लाख से अधिक मतों से हराया।
गिरिराज सिंह
बिहार से गिरिराज सिंह सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के लिए केंद्रीय मंत्री हैं। 2019 के चुनाव के लिए, बीजेपी ने गिरिराज सिंह को नवादा निर्वाचन क्षेत्र से बेगूसराय में शिफ्ट कर दिया और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार कन्हैया कुमार के सामने खड़ा किया।
अपने हिंदुत्व के विचारों के कारण गिरिराज सिंह ने बार-बार हिंदुओं को “उनकी आबादी बढ़ाने” के लिए कहा ताकि मुसलमानों के विकास का मुकाबला किया जा सके और इस वजह से काफी विवाद भी हुआ। उन्होंने ऐसा भी कहा था कि जो लोग मोदी को पसंद नहीं करते वे पाकिस्तान चले जाएं।
2014 में चुनाव आयोग ने गिरिराज सिंह को बिहार और झारखंड में चुनाव प्रचार करने से रोक दिया क्योंकि उन पर सांप्रदायिक टिप्पणी करने का आरोप लगा था। लेकिन फिर भी वे बोलते रहे और अपने 2019 अभियान के दौरान उन्होंने मुस्लिमों को दफनाने के लिए जमीन लेने और वंदे मातरम जैसी बातों पर टारगेट किया। उन्हें आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के लिए बुक किया गया था।
अपने इस रिकॉर्ड और कन्हैया कुमार के एक मजबूत अभियान के बावजूद गिरिराज सिंह पिछले चुनाव की तुलना में बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। 2014 में गिरिराज सिंह ने नवादा को 1.4 लाख वोटों के अंतर से और 44.1% के वोट शेयर के साथ जीता। इस बार उनका वोट शेयर 56.53% था और 4 लाख से अधिक के अंतर से चुनाव जीता।
प्रज्ञा ठाकुर
2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले में एक हिंदुत्व कार्यकर्ता प्रज्ञा ठाकुर मुख्य आरोपी हैं और भाजपा ने उन्हें भोपाल में कांग्रेस के दिग्विजय सिंह के खिलाफ चुनावी मैदान में उतारा। भारत के चुनावी इतिहास में पहली बार एक आतंकी आरोपी को मैदान में उतारने के लिए भाजपा की व्यापक आलोचना हुई थी।
ठाकुर फिलहाल जमानत पर बाहर हैं लेकिन उनपर चल रहा मुकदमा उन्हें अभियान के दौरान भड़काऊ बयान देने से नहीं रोक सका। प्रज्ञा ने दावा किया कि 2008 के मुंबई हमले के दौरान मारे गए मुंबई से पूर्व एंटी टेररिजम स्क्वाड के प्रमुख हेमंत करकरे मर गए थे क्योंकि उन्होंने उसे शाप दिया था। करकरे ने मालेगांव बमबारी के संबंध में ठाकुर की जांच की थी।
इसके बाद प्रज्ञा ठाकुर ने 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद के विध्वंस में भूमिका निभाने के लिए “अत्यधिक गर्व” व्यक्त किया। 16 मई को उन्होंने महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को “देशभक्त” कहा। इस बयान से नाराजगी पैदा हुई।
भाजपा ने केवल उनकी टिप्पणी से खुद को दूर कर लिया और दावा किया कि वह इस बारे में उनसे “बात” करेंगे। अपनी ओर से ठाकुर ने कहा कि वह लोगों की भावनाओं को आहत करने के लिए प्रायश्चित के लिए तीन दिन का मौन धारण करेंगी।
जहां तक 2019 के चुनाव का सवाल है ठाकुर की तपस्या का नजीज उन्हें मिल गया है। पहली बार लोकसभा उम्मीदवार होने के बावजूद उन्होंने मध्य प्रदेश के दो बार के मुख्यमंत्री सिंह को साढ़े तीन लाख से अधिक मतों से हराया।
साक्षी महाराज
साक्षी महाराज एक हिन्दू धार्मिक नेता हैं जिनके खिलाफ 34 आपराधिक मामलें दर्ज हैं। महाराज ने 2014 में उत्तर प्रदेश के उन्नाव से चुने जाने से पहले 1990 के दशक में मथुरा और फर्रुखाबाद से सांसद के रूप में कार्य किया।
उन्हें सबूतों के अभाव में 2011 में सामूहिक बलात्कार से बरी कर दिया गया था लेकिन हत्या के 2013 के एक मामले में वे अभी भी आरोपी हैं। बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में भी आरोपी है। ठाकुर की तरह उन्होंने भी गोडसे को देशभक्त कहा है। गिरिराज सिंह की तरह उन्होंने हिंदुओं से कम से कम चार बच्चे पैदा करने का आग्रह किया। उन्होंने गौहत्या और धार्मिक रूपांतरण को मृत्युदंड के साथ दंडित करने की वकालत की है और मदरसों को “आतंकवाद के लिए प्रशिक्षण का आधार” बताया है।
फिर भी उन्होंने बार-बार चुनाव जीते हैं। उन्होंने 2014 में उन्नाव में 3.1 लाख वोट और 43.1% के वोट शेयर से जीत दर्ज की। उन्होंने इस बार भी बेहतर प्रदर्शन किया समाजवादी पार्टी के अरुण शंकर शुक्ला को चार लाख से अधिक मतों से हराया।