क्या दिग्विजय सिंह कांग्रेस के आडवाणी बनने की राह पर निकल चुके हैं ?

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राजनीति में नेताओं के सक्रिय राजनीतिक कॅरियर से कहीं ज्यादा कष्टदायी उनका वनवास होता है। हर पार्टी में उम्र, आपसी मतभेद जैसे कई कारणों से नेताओं के हाशिए पर जाने का सिलसिला चलता रहता है। आम बोलचाल की भाषा में आजकल इन नेताओं को “आडवाणी” कहा जाता है। कुछ ऐसा ही हाल मध्यप्रदेश के 10 साल मुख्यमंत्री रहे कांग्रेस के तेज-तर्रार नेता दिग्विजय सिंह का है, जो इस कद्र दरकिनार किए जा रहे हैं मानो लगता है पार्टी को उनकी अब कोई जरूरत नहीं है।

आलाकमान कर रहा है दरकिनार-

कभी कांग्रेस के चाणक्य कहे जाने वाले दिग्विजय सिंह को आलाकमान अब दरकिनार कर रहा है। उनसे पार्टी ने सभी प्रमुख जिम्मेदारियां छीन ली है। उनके भाषणों पर लताड़ लगाई जाने लगी है तो चुनावी रैलियों से उनकी फोटो को भी डिलीट कर दिया गया है। ऐसे में आलाकमान कहीं ना कहीं खुद उनसे ही वनवास की घोषणा किए जाने के इंतजार में है।

पार्टी कार्यालय़ में नहीं मिला एक कमरा-

सक्रिय राजनीति से लंबे समय से दूर रहे दिग्विजय सिंह मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों के जरिए फिर एक बार उम्मीद लिए पार्टी के प्रदेश कार्यालय में दिखने लगे हैं। लेकिन हैरानी की बात ये हैं कि दिग्विजय़ को कार्यालय में एक कमरा तक नसीब नहीं हुआ। वो चुनावों को लेकर फिर एक बार हवा बनाने की कोशिश में तो हैं लेकिन फिलहाल वो कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष के साथ कमरा शेयर कर रहे हैं। दिग्विजय सिंह ने सोचा नहीं होगा कि उन्हें ऐसा दिन कभी देखना होगा।

ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया से मतभेद धकेल रहे हैं विदाई की तरफ

मध्य प्रदेश की राजनीति का युवा चेहरा और राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया से दिग्विजय सिंह की अंदरूनी कलह किसी से छुपी नहीं है। दोनों के बीच टिकटों और अपने उम्मीदवारों को लेकर आपसी मतभेद काफी बार सामने आ चुके हैं। ऐसे में आलाकमान को दिग्विजय सिंह को दरकिनार करने में कोई भी दिक्कत नहीं है।

बेटे को राजनीति में सेट करना है एकमात्र ख्वाहिश-

दिग्गी राजा को खुद इस बात का अंदेशा है कि अब अपनी वो हवा नहीं रही है, लेकिन वो किसी ना किसी तरह राजनीति में सक्रिय बने रहना चाहते हैं इसका सबसे बड़ा कारण है- पुत्र मोह, जी हां, दिग्विजय के बेटे जयवर्धन सिंह ने अपनी राजनीतिक पारी की अभी शुरूआत की है और दिग्विजय यह चाहते हैं कि अगर कांग्रेस की सरकार एक बार मध्य प्रदेश में वापसी करे तो उनके बेटे को कोई अच्छा सा मंत्रालय मिल जाए।

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