राजस्थान विधानसभा चुनावों में हनुमान की मेहनत रंग लाई है। जी हां ये योगी आदित्यनाथ के दलित हनुमान नहीं बल्कि राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संस्थापक हनुमान बेनीवाल है जिनकी पार्टी राजस्थान में 5वीं सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आई है।
भाजपा और कांग्रेस के गढ़ माने जाने वाले राजस्थान में बेनीवाल की पार्टी को जितना भी जनसमर्थन मिला वो तारीफ के काबिल है क्योंकि पहली बार में ही चुनाव लड़कर 3 सीटें निकाल ले जाना यहां कभी संभव होता नहीं दिख रहा था। बेनीवाल की पार्टी ने 58 सीटों पर चुनाव लड़ा था जिसमें से उसे 856038 वोट मिले हैं। अभी भी बेनीवाल की पार्टी बसपा और निर्दलियों से कुछ पीछे ही रही और उनका राजस्थान में तीसरे मोर्चे का गठन करने का सपना अधूरा ही रह गया।
बात की जाए एक और नई पार्टी जो कि भाजपा से बगावत कर घनश्याम तिवाड़ी ने बनाई वो इस बार कोई भी कमाल नहीं कर पाई और खुद तिवाड़ी ही अपनी जमानत नहीं बचा पाए। हालात तो ये रहे कि तिवाड़ी की भारत वाहिनी पार्टी से तो ‘नोटा’ कहीं ज्यादा आगे निकल गया। इस बार प्रदेश में 1.3 प्रतिशत वोट नोटा को गए हैं।