गुरु पूर्णिमा को दिखाई देगा चंद्र ग्रहण, दिखेंगे बेहद खास नजारें

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इस वर्ष का दूसरा चंद्रग्रहण 16 जुलाई यानी मंगलवार रात को नजर आने वाला है। यह चंद्रग्रहण इस बार गुरु पूर्णिमा के अवसर पर पड़ेगा जोकि 149 साल बाद ऐसा संयोग बना है। खबरों के मुताबिक, यह आंशिक चंद्रग्रहण रात एक बजकर 31 मिनट से शुरू होकर सुबह के 4 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। यह चंद्रग्रहण अपने पूर्ण रूप में रात्रि को तीन बजकर एक मिनट पर दिखाई देगा, जब धरती की छाया चंद्रमा के आधे से ज्यादा हिस्से को ढक लेगी।

इन नामों से भी जानते हैं चंद्रग्रहण को—

सुपर ब्लड वुल्फ मून

इस वर्ष का पहला चंद्रग्रहण 20 और 21 जनवरी को हुआ था। यह पूर्ण चंद्रग्रहण था और इसे वैज्ञानिकों ने सुपर ब्लड वुल्फ मून (Super blood wolf moon) नाम दिया था। इस ग्रहण को इस नाम से पुकारने की वजह थी कि ऐसे चंद्रग्रहण के दौरान चंद्रमा पूरी तरह लाल नजर आता है।

यह नाम नेटिव अमेरिकी जनजातियों ने पहले से ही रखा है, क्योंकि सर्दियों की रात को भेड़िए खाना ढूंढ़ने निकलते हैं और चिल्लाते हैं। इस प्रकार का चंद्रग्रहण भारत में नहीं दिखाई दिया था। लेकिन यह चंद्रग्रहण अमेरिका, ग्रीनलैंड, आइसलैंड, आयरलैंड, ग्रेट ब्रिटेन, नार्वे, स्वीडन, पुर्तगाल, फ्रांस और स्पेन देखने को मिला और वहां के लोग इस अद्भुत नजारे के साक्षी बने थे। इस बार नंबर भारत का है जहां लोगों को सुपर ब्लड वुल्फ मून जैसा ही नजारा दिखाई देगा।

ब्लड थंडर मून इक्लिप्स

सुपर ब्लड वुल्फ मून के समय चंद्रमा पृथ्वी के काफी नजदीक आ जाता है जिसकी वजह से इसका आकार अन्य दिनों की तुलना में बड़ा दिखाई देता है। चंद्रमा के आकार का बड़ा दिखना और रंग लाल होने के कारण ही इसे ‘सुपर ब्लड मून’ नाम दिया गया है, क्योंकि इस बाद दिखाई देने वाला चंद्रग्रहण आंशिक है, इसलिए वैज्ञानिकों ने इसे हाफ ब्लड थंडर मून इक्लिप्स (Half Blood Thunder Moon Eclipse) नाम दिया गया है।

खगोल विज्ञान में दिलचस्पी रखने वाले लोगों के लिए यह नजारा बेहद शानदार होगा, बशर्ते मौसम साफ हो। यह चंद्रग्रहण भारत के साथ ही ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका, एशिया और यूरोप के अधिकांश हिस्सों में दिखाई देगा।

क्यों दिखाई देता है चंद्र ग्रहण

चंद्र ग्रहण एक खगोलीय घटना है और यह स्थिति तब बनती है जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य तीनों एक सीध में आ जाते हैं तब ग्रहण पड़ता है। चंद्रग्रहण के दौरान सूर्य और चंद्रमा के बीच धरती आ जाती है तो उसकी छाया चंद्रमा पर पड़ती है। इस स्थिति को चंद्रग्रहण कहते हैं।

खगोलवेत्ताओं के मुताबिक, कल रात लगने वाला ग्रहण इस साल का आखिरी चंद्र ग्रहण है। ज्योतिष के मुताबिक, इस ग्रहण के प्रभाव से प्राकृतिक आपदाओं के कारण व्यापक क्षति की आशंका है। पिछली बार 12 जुलाई, 1870 को गुरु पूर्णिमा और चंद्र ग्रहण एक साथ पड़े थे। हिंदू पंचांग की मानें तो इस ग्रहण को खंडग्रास चंद्र ग्रहण कहा जा रहा है।

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