गोडावण संकट में, लगातार हो रही मौत, वन्यजीव प्रेमी चिंतित

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राजस्थान का राज्यपक्षी गोडावण संकट में है। गोडावण की लगातार हो रही मौत के चलते प्रमुख वन्य जीव संरक्षण संगठनों ने एक आनलाइन याचिका अभियान शुरू किया है। वन विभाग और वन्यजीव प्रेमियों का दावा है कि देश में अब करीब डेढ़ सौ गोडावण पक्षी बचे हैं। अब अगर इन्हें भी बचाने का कोई गंभीर प्रयास नहीं हुआ तो वह दिन दूर नहीं जब थार का यह सबसे खूबसूरत और शर्मीला पक्षी लुप्त हो जाएगा और राजस्थान को राज्य पक्षी का दर्जा देने के लिए किसी और पक्षी की तलाश करनी होगी।

कुछ दिन पहले ही सीमावर्ती जैसलमेर जिले में एक गोडावण की मौत ने इस मामले को फिर चर्चा में ला दिया है । इससे पहले भी सीमावर्ती जैसलमेर, बाड़मेर और जोधपुर के इलाकों में गोडावाण की मौत होती रही है। तीन प्रमुख वन्य जीव संरक्षण संगठनों ने एक ऑनलाइन याचिका अभियान शुरू किया है। इसमें देश के बिजली मंत्री से मांग की जा रही है कि जिन इलाकों में गोडावण का बसेरा है वहां से गुजरने वाली बिजली के उच्च शक्ति वाले तारों को भूमिगत किया जाए। बिजली के तारों से करंट लगने के कारण गोडावण की मौत के मामले अधिक सामने आए है।

उल्लेखनीय है कि भारत सरकार के बहुप्रचारित ‘प्रजाति रिकवरी कार्यक्रम’ में चयनित 17 प्रजातियों में गोडावण भी है। एक अध्ययन के अनुसार 1978 में गोडावण की संख्या 745 थी जो 2001 में घटकर 600 व 2008 में 300 रह गई थी । दिल्ली के इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय में सह आचार्य और गोडावण बचाने के लिए काम कर रहे डॉ. सुमित डूकिया के अनुसार अब ज्यादा से ज्यादा 150 गोडावण बचे है, जिनमें 122 राजस्थान में और 28 गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक तथा आंध्र प्रदेश में है ।

इसमें भी गोडावण अंडे अब फिलहाल केवल जैसलमेर में देते है। शिकारियों के अलावा गोडावण को सबसे बड़ा खतरा विशेष रूप से राजस्थान के सीमावर्ती इलाकों में लगी ¨वड मिलों के पंखों और वहां से गुजरने वाली हाइटेंशन लाइनों से है। दरअसल गोडावण की शारीरिक रचना इस तरह की होती है कि वह सीधा सामने नहीं देख पाता, शरीर भारी होने के कारण वह ज्यादा ऊंची उड़ान भी नहीं भर सकता, ऐसे में बिजली के तार उसके लिए खतरनाक साबित हो रही है। जैसलमेर के उप वन संरक्षक (वन्य जीव) अशोक महरिया का कहना है कि 18 महीने में गोडावण की मौत के पांच मामलों में से चार हिट के मामले है, हालांकि वहां के हालात के हिसाब से कहा जा सकता है कि उनकी मौत बिजली की तारों की चपेट में आने से हुई होगी ।

गोडावण पक्षी के संरक्षण व बचाव के लिए जून 2013 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रोजेक्ट ग्रेट इंडियन बस्टर्ड शुरू किया था। लेकिन इसके कुछ ही महीने बाद ही उनकी सरकार चली गयी और मामला ठंडे बस्ते में चला गया। वसुंधरा सरकार ने रामदेवरा के पास गोडावण अंडा संकलन केंद्र और कोटा में हेचरी बनाने के प्रस्ताव को इसी साल अंतिम रूप दिया था। अब एक बार फिर गहलोत सत्ता में आए है, तो उम्मीद कि जा रही है कि वे गोडावण को बचाने के लिए फिर से पहल करेंगे।

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