केंद्र सरकार ने लैपटॉप, टैब, ऑल-इन-वन पीसी और सर्वर के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए आईटी हार्डवेयर सेक्टर में भी प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम (PLI) को अपनी मंजूरी दे दी। इस योजना के जरिए भारत सरकार की कोशिश दुनियाभर की दिग्गज आईटी कंपनियों को भारत में विनिर्माण के लिए आकर्षित करना है। केंद्रीय संचार एवं सूचना प्रौधोगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बताया कि बुधवार को कैबिनेट की बैठक में अप्रैल 2020 में घोषित मोबाइल फोन व इसके कंपोनेंट के लिए पीएलआई स्कीम को मंजूरी दी गई। उन्होंने बताया कि इसकी लागत 35,000 करोड़ रुपये है और इससे करीब 22,500 नई नौकरियां आएंगी।
IT हार्डवेयर उत्पादों का योगदान बढ़ेगा, 2 लाख नौकरियां आएंगी
केंद्रीय मंत्री प्रसाद ने कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देते हुए कहा, ‘लैपटॉप और आईपैड बनाने वाली दुनिया की शीर्ष 5 कंपनियों को हम भारत में लाना चाहते हैं। इसके साथ हम भारतीय कंपनियों को भी शामिल करेंगे। आने वाले 5 सालों में हमारा लक्ष्य 3,26,000 करोड़ रुपये का उत्पादन करना होगा। इसमें 2,45,000 करोड़ रुपये का निर्यात होगा।’ उन्होंने बताया कि आईटी हार्डवेयर उत्पादों का योगदान देश में इस वक्त 5-10 फीसदी है। आने वाले पांच सालों में यह 20-25 फीसदी होगा और 2 लाख लोगों को नौकरियां मिलेगी। हार्डवेयर का उत्पादन 1 ट्रिलियन डिजिटल अर्थव्यवस्था में भी अच्छा योगदान देगा।’
फार्माश्यूटिकल सेक्टर के लिए भी पीएलआई स्कीम को मंजूरी दी
रविशंकर प्रसाद ने बताया कि केंद्रीय कैबिनेट ने आईटी हार्डवेयर सेक्टर के लिए 7,350 करोड़ रुपये की पीएलआई स्कीम को मंजूरी दी है, जिसमें लैपटॉप, टैब, ऑल-इन-वन पीसी और सर्वर कवर होंगे। इसमें 13,000 करोड़ रुपये का निवेश आया है। उन्होंने बताया कि केंद्रीय कैबिनेट ने फार्माश्यूटिकल सेक्टर के लिए भी पीएलआई स्कीम को अपनी मंजूरी दी है। यह स्कीम वित्त वर्ष 2020-21 से 2028-29 तक के लिए है। इसका लक्ष्य देश में उच्च मूल्य वाले प्रोडक्ट्स के प्रोडक्शन को बढ़ावा देना और एक्सपोर्ट्स सेक्टर में मूल्य वृद्धि करना है। केंद्र की इस स्कीम से भारत मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में स्थापित होगा, निर्यात को बढ़ावा मिलेगा और नई नौकरियों एवं अवसर के द्वार खुलेंगे। आपको बता दें कि इससे पिछले सप्ताह केंद्र सरकार ने दूरसंचार उपकरण विनिर्माण के लिए 12,195 करोड़ रुपये की PLI स्कीम को मंजूरी दे थी।
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