सरकार ने घरेलू उड़ानों का न्यूनतम किराया पांच फीसदी बढ़ाने का किया ऐलान, अप्रैल तक लागू रहेगा

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अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के बीच सरकार ने घरेलू उड़ानों का किराया बढ़ाने का ऐलान किया है। केंद्र सरकार ने घरेलू उड़ानों का न्यूनतम किराया पांच फीसदी बढ़ा दिया है। यह इजाफा अप्रैल अंत तक लागू रहेगा। आपको बता दें कि पिछले एक महीने के दौरान घरेलू उड़ानों का किराया दूसरी बार बढ़ाया गया है। हालांकि, इसके पीछे हवाई जहाज का ईंधन महंगा होना बताया जा रहा है। इसके अलावा सरकार ने घरेलू एयरलाइंस को यात्रियों की क्षमता 80 फीसदी रखने का आदेश दिया है। जानकारी के अनुसार, इस स्थिति को अप्रैल अंत तक बनाए रखना होगा।

घरेलू उड़ानों के उच्चतम किराए में नहीं किया इजाफा

केंद्रीय उड्डयन मंत्रालय ने बताया कि देश के अलग-अलग राज्यों में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों की वजह से घरेलू उड़ानों की आवाजाही घट गई है। ऐसे में अप्रैल अंत तक यात्रियों की क्षमता 80 फीसदी रखने और किराए में पांच प्रतिशत के इजाफे का फैसला लिया गया है। हालांकि, किराये में इजाफे की वजह ईंधन की बढ़ती कीमतें हैं। फिलहाल, घरेलू उड़ानों के उच्चतम किराए में कोई बदलाव या इजाफा नहीं किया गया है। मंत्रालय लगातार स्थिति पर नज़र रखे हुए हैं और हालात के हिसाब से फैसले ले रहा है।

इस शर्त पर खुल सकता है 100 फीसदी ऐविएशन सेक्टर

आपको बता दें कि इस मामले में केंद्रीय उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने भी ट्वीट किया। उन्होंने लिखा, ‘हवाई जहाज का ईंधन लगातार महंगा होने की वजह से घरेलू उड़ानों का न्यूनतम किराया पांच फीसदी बढ़ाया जा रहा है। हालांकि, उच्चतम किराए में कोई बदलाव नहीं किया गया है। वहीं, यात्रियों की क्षमता 80 फीसदी तक सीमित करने को लेकर उन्होंने कहा कि अलग-अलग राज्यों में बढ़ते प्रतिबंधों और आरटीपीसीआर टेस्ट की अनिवार्यता के कारण यात्रियों की संख्या में कमी आई है। ऐसे में हर उड़ान में यात्रियों की क्षमता 80 फीसदी रखने का फैसला लिया गया। उन्होंने बताया कि अगर एक महीने में तीन बार यात्रियों की संख्या साढ़े तीन लाख के पार पहुंचती है तो 100 फीसदी ऑपरेशन के लिए ऐविएशन सेक्टर को खोल दिया जाएगा।

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जानकारी के अनुसार, केंद्र सरकार घरेलू उड़ानों में किराए का स्लैब और यात्रियों की संख्या पर लगे प्रतिबंध हटाने की तैयारी कर रही थी, लेकिन देश में कोरोना के दोबारा बढ़ रहे मामलों की वजह से ऐसा नहीं हो सका है। महामारी के फिर से बढ़ते मामलों ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है।

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