15 दिन में सभी प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचाएं सरकारें: सुप्रीम कोर्ट

Views : 3527  |  3 minutes read
migrants-labourer

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र और राज्य सरकारों को प्रवासी मजदूरों के लिए एक बड़ी राहत देने वाला निर्देश दिया। दरअसल, शीर्ष अदालत ने प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा पर स्वतः संज्ञान लेते हुए सुनवाई की। कोर्ट ने कहा कि सभी प्रवासी कामगारों को उनके पैतृक स्थानों तक पहुंचाने के लिए केंद्र और राज्यों को 15 दिन का समय है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को प्रवासी मजदूरों को रोजगार मुहैया कराने के भी निर्देश दिए हैं।

एक करोड़ प्रवासी मजदूरों को घर पहुंचाया: सॉलिसिटर जनरल

सुप्रीम कोर्ट में याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अभी तक करीब एक करोड़ प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचा दिया गया है। उन्होंने शीर्ष अदालत को बताया कि इनमें से करीब 41 लाख मजदूरों को सड़क मार्ग और 57 लाख मजदूरों को ट्रेनों से उनके गृह राज्य भेजा गया है। मेहता ने कोर्ट को बताया कि इनमें से अधिकतर ट्रेनों का संचालन उत्तर प्रदेश और बिहार की तरफ हुआ है। कामगारों को उनके पैतृक स्थान पहुंचाने के लिए 3 जून तक 4200 से ज्यादा श्रमिक ट्रेनें चलाई गईं।

राज्य की मांग पर केंद्र 24 घंटे के भीतर ट्रेन भेजेगा

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष अदालत में कहा कि हम सभी राज्यों से संपर्क में हैं और राज्य सरकारें ही अदालत को प्रवासियों की सही संख्या के बारे में आंकड़े बता सकती हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकारें अदालत को बता सकती हैं कितने प्रवासियों को अभी घर पहुंचाना है और इसके लिए कितनी ट्रेनों की आवश्यकता पड़ेगी।

Read More: पी चिदंबरम की जमानत पर सीबीआई की पुनर्विचार याचिका सुप्रीम कोर्ट ने की खारिज

सॉलिसिटर जनरल ने बताया कि किसी भी राज्य द्वारा ट्रेनों की मांग किए जाने पर केंद्र सरकार 24 घंटे के भीतर ट्रेनों को वहां भेज देगी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम सभी राज्यों से कहेंगे कि वह अपनी ट्रेनों की मांग को रेलवे को सौंपे। कोर्ट ने आगे कहा कि हम केंद्र और राज्यों को प्रवासी मजदूरों को वापस उनके घर भेजने के लिए 15 दिन का समय देते हैं। केंद्र और राज्य सरकारों को इस अवधि में प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचाना होगा।

COMMENT