जब आपके घर कोई मेहमान आने वाला होता है तो आप सबसे पहले उसे अपने घर का पता बताते हैं ताकि वे आपके घर आसानी से पहुंच जाए। यदि आप उसे पता नहीं बताएंगे तो उसके लिए आपके पास तक पहुंचना बहुत मुश्किल हो जाएगा। ऐसे ही एक और चीज है जिसे आपको अपना एड्रेस देने की जरूरत होती है। हम बात कर रहे हैं ‘खुशी’ की। क्या आपने खुशी को अपने घर का पता दिया या उसे घर आने के लिए न्योता दिया?
अब आप सोच रहे होंगे कि यह क्या बचकाना बात है। खुशी को घर का पता देने की क्या जरूरत है, वह तो अपने आप आ जाती है या फिर वह कोई इंसान थोड़े है जो उसे घर का पता समझाना पड़ेगा। लेकिन यहां आपकी समझादारी थोड़ी सी चूक गई है…। यकीनन खुशियों को भी घर का पता बताने की जरूरत होती है। खुशियां यूं ही आपके दरवाजे तक नहीं आएंगी। उन्हें प्यार से बुलाना पड़ेगा और घर का पता भी देना पड़ेगा।
अरे, इतनी सोच में मत पड़िए, हम बताते हैं क्या है यह खुशी और एड्रेस का कनेक्शन। चलिए एक उदाहरण से इसे समझते हैं। जब आपके घर कोई मेहमान पहली बार आता है तो आप उसे घर का पता समझाते हैं। इससे पहले यह समझें कि वह मेहमान आपके यहां क्यों आ रहा है। वह इसलिए आ रहा है क्योंकि वह आपको पसंद करता है, उसे आपका व्यवहार अच्छा लगता है और सबसे बड़ी बात वह आपको अपना समझता है। अब जब वो मेहमान आपके घर आता है और आपका प्यार उसे मिलता है तो वह आपके घर में सहज महसूस करने लगता है। यानी कि वह आगे भी आपके घर आने की सोचने लगता है क्योंकि उसे आपके घर में अच्छा महसूस हुआ।
अब बिना ज्यादा दिमाग लगाए यह इक्वेशन खुशी के साथ बैठा लीजिए। जी हां, खुशियां भी वहीं आना पसंद करती हैं जहां उसे अच्छा लगता है। उदास, निराशा से घिरे और हमेशा नकारत्मक सोच रखने वाले व्यक्ति खुशी को पसंद नहीं होते। जिंदादिल, प्यार से भरपूर, हर परिस्थिति में सहज रहने वाले और सकारात्मक उर्जा वाले लोगों के पास खुशी भी आना पसंद करती हैं। एक बार जब वे आपके घर का पता जान लेती हैं तो वह बार बार आपके यहां आना चाहती हैं, क्योंकि आपके यहां खुशियों को और बढ़ने का मौका मिलता है।
तो अब आप समझ गए होंगे कि इस बचकाना बात के पीछे जिंदगी जीने का कितना बड़ा राज छिपा हुआ है। खुशियों को प्यार से अपने यहां बुलाइए और कोशिश करिए कि वे कभी जाने का सोचें ही नहीं…।
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