लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण की वोटिंग और मतदान का दिन जैसे-जैसे पास आ रहे हैं हर दल के नेताओं के बीच मीटिंग्स का दौर चल रहा है। सभी अपने समीकरणों को साधने में जी-जान लगाए हुए हैं। जहां एक तरफ गठबंधन की सुगबुगाहट तेज है वहीं भाजपा मोदी की दूसरी पारी का दावा दमखम के साथ ठोक रही है।
विपक्षी खेमों के लिए समीकरण बिठाने से ज्यादा प्रधानमंत्री का चेहरा फाइनल करना भी एक अलग चुनौती है। इसी बीच एक खबर आई है कि बीजेपी के सामने खड़ा संयुक्त विपक्ष प्रधानमंत्री के लिए 23 मई से पहले नाम फाइनल कर देगा।
जी हां, कांग्रेस के नेता और राज्यसभा सदस्य गुलाम नबी आजाद का कहना है कि अगर गठबंधन की सरकार बनें और प्रधानमंत्री पद कांग्रेस के पाले में ना आए तो हमें इससे कोई आपत्ति नहीं है।
हम सभी दलों के साथ बैठकर परिणाम से पहले पीएम पद के लिए सहमति से फैसला ले लेंगे।
आजाद की इन बातों के क्या मायने निकलते हैं-
लोकसभा चुनाव के परिणाम नजदीक आते देख कांग्रेस का अपने सहयोगी दलों के इस तरह का रूख यह साफ जाहिर करता है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पीएम की रेस में नहीं है और खुद राहुल ने इससे काफी बार मना किया है।
वहीं दूसरी तरफ एमके स्टालिन, तेजस्वी यादव और अरविंद केजरीवाल जैसे नेता राहुल का समर्थन काफी समय से कर रहे हैं। इसके अलावा कुछ खेमों में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और मायावती के पीएम बनने की चर्चाएं भी तेज है।
आजाद ने अपना उद्देश्य बताते हुए साफ तौर पर कहा कि हम यानि कांग्रेस NDA को सरकार से बाहर करना चाहते हैं। गैर-एनडीए गैर-भाजपा सरकार बनाना हमारी प्राथमिकता रहेगी।