गांधी परिवार और कांग्रेस पार्टी इन दोनों का नाता हर कोई जानता है। लेकिन इसी परिवार से ताल्लुक रखने वाले व वर्तमान में यूपी के पीलीभीत संसदीय क्षेत्र से सांसद वरुण गांधी बीजेपी के झंडाबरदार हैं। दिलचस्प बात यह है कि वरुण एक राजनीतिज्ञ होने के साथ ही कवि भी हैं। वह भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य भी रह चुके हैं। हालांकि, पार्टी ने साल 2021 में इन्हें और इनकी मां मेनका गांधी को राष्ट्रीय कार्यकारिणी से बाहर कर दिया। वरुण वर्ष 2013 में संगठन के राष्ट्रीय महासचिव बने थे।
इन्हें भाजपा के इतिहास में सबसे युवा राष्ट्रीय महासचिव होने का गौरव हासिल हैं। साल 2011 में वरुण ने यामिनी रॉय चौधरी से शादी कीं। इन दोनों की एक बेटी अनुसुइया गांधी है। नेहरू-गांधी परिवार के इस सदस्य की बतौर नेता साफ-सुथरी छवि है। आज 13 मार्च को वरुण गांधी अपना 43वां जन्मदिन मना रहे हैं। इस अवसर पर जानिए इनके जीवन के बारे में कुछ अनसुनी बातें…
इंदिरा गांधी के पौत्र और संजय के बेटे हैं वरुण
वरुण गांधी का जन्म 13 मार्च, 1980 को नई दिल्ली में आज़ादी के बाद से भारतीय राजनीति में दबदबा रखने वाले गांधी परिवार में हुआ। वह भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु के पड़-पौत्र और इंदिरा गांधी व फिरोज गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी के बेटे हैं। संजय गांधी ने मेनका गांधी से शादी की थी, जिनके वरुण गांधी इकलौते वारिस हैं। वरुण के पिता संजय गांधी की मौत इनके जन्म के महज 3 महीनों बाद एक प्लेन हादसे में हो गई। दिल्ली से अपनी शुरुआती शिक्षा हासिल करने के बाद वरुण आगे की पढ़ाई के लिए लंदन यूनिवर्सिटी चले गए, जहां से इन्होंने इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएशन किया और इसके बाद स्वदेश लौट आए।
पहले मां के लिए प्रचार किया, फिर ज्वॉइन की बीजेपी
वरुण गांधी के विदेश से पढ़ाई कर लौटने के बाद सबसे बड़े राजनीतिक परिवार से होने के कारण देश इनका चुनावी मैदान में पहली एंट्री का इंतजार कर रहा था। आखिरकार वरुण ने वर्ष 1999 के लोकसभा चुनाव में पीलीभीत सीट से चुनाव लड़ रही मां मेनका गांधी के प्रचार की कमान संभाली और इस तरह राजनीति में उतर गए। वरुण गांधी और मेनका गांधी ने साल 2004 के लोकसभा चुनाव से पहले आधिकारिक रूप से भारतीय जनता पार्टी यानि बीजेपी की आधिकारिक सदस्यता ग्रहण की।
पहले ही चुनाव में सबसे बड़ी जीत दर्ज की
बीजेपी ने वरुण गांधी को वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में पीलीभीत संसदीय क्षेत्र से टिकट देकर मैदान में उतारा। अपने राजनीतिक करियर के पहले चुनाव में ही वरुण गांधी को रिकॉर्ड 4,19,539 वोट मिले। इन्होंने कांग्रेस के नेता वीएम सिंह को इस चुनाव में भारी मतों से हराया। साथ ही गांधी परिवार के किसी भी सदस्य की अब तक की सबसे बड़ी चुनावी जीत का रिकॉर्ड भी बना दिया।
जरूरतमंदों को दान कर देते हैं सैलरी का पैसा
पीलीभीत सीट से लोकसभा सांसद बनने के करीब चार साल बाद यानि वर्ष 2013 में बीजेपी ने वरुण गांधी को राष्ट्रीय महासचिव और फिर बंगाल बीजेपी की जिम्मेदारी भी सौंपी। साल 2014 के आम चुनाव में वरुण को इनकी मां के चुनाव क्षेत्र सुल्तानपुर से टिकट दिया गया। इन्होंने एक बार फिर चुनाव में जीत दर्ज की। साल 2019 में 17वीं लोकसभा के लिए हुए आम चुनाव में इन्हें एक बार फिर पीलीभीत से मैदान में उतारा। इस चुनाव में इन्होंने जीत की हैट्रिक लगाई।
आपको जानकर हैरानी होगी कि वरुण गांधी ऐसे सांसद हैं, जो अपने एमपीलैड फण्ड यानि सांसदों को मिलने वाली सैलरी और अन्य भत्ते जरूरतमंदों में दान करते हैं। गांधी परिवार में चाहे कितनी भी पारिवारिक कलह रही हों, लेकिन वरुण गांधी ने चुनाव में कभी भी अपने चचेरे भाई राहुल गांधी और चाची सोनिया गांधी के खिलाफ मुंह नहीं खोला। हालांकि, वह कई बार राजनीतिक टिप्पणियां कर चुके हैं।
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