डॉ. मनमोहन सिंह का अर्थव्यवस्था को नई गति देने से पीएम बनने तक का ऐसा रहा सफ़र

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भारत के प्रमुख अ​र्थशास्त्री, पूर्व आरबीआई गवर्नर व 14वें प्रधानमंत्री रहे डॉ. मनमोहन सिंह का आज 26 सितंबर को अपना 91वां जन्मदिन है। वह वर्ष 2004 से 2014 तक यानी पांच साल के दो टर्म के लिए भारत के प्रधानमंत्री रहे। डॉ. सिंह देश के पहले सिख प्रधानमंत्री बने थे और वह पंडित जवाहर लाल नेहरू के बाद ऐसे पीएम रहे जो पांच साल पूरे करने के बाद लगातार दूसरी बार इस पद पर चुने गए थे। वह एक नम्र, कर्मठ और कार्य के प्रति प्रतिबद्ध व्यक्ति रहे। डॉ. मनमोहन सिंह के परिवार में पत्नी गुरशरण कौर हैं और इन दोनों की तीन बेटियां हैं। इस खास अवसर पर जानते हैं उनके जीवन के बारे में कुछ अनसुनी बातें…

ऑक्सफ़ोर्ड से इकोनॉमी में डी.फिल हैं डॉ. सिंह

मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर, 1932 को पंजाब प्रांत के गाह (वर्तमान पाकिस्तान) नामक गांव में हुआ था। उनके पिता गुरमुख सिंह और माता अमृत कौर थे। जब वह छोटे थे तभी उनकी माता का निधन हो गया। उनका पालन-पोषण नानी के यहां पर हुआ। भारत के विभाजन के बाद, उनका परिवार अमृतसर में बस गया। मनमोहन ने यहां से वर्ष 1948 में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की। उन्होंने पंजाब के होशियारपुर में आगे की पढ़ाई की। वर्ष 1952 में ग्रेजुएट और वर्ष 1954 में अर्थशास्त्र से मास्टर की उपाधि हासिल की। वह क्लास में हमेशा टॉपर रहे।

बाद में उन्होंने ब्रिटेन से वर्ष 1957 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के सेंट जॉन्स कॉलेज के छात्र के रूप में अर्थशास्त्र में फर्स्ट क्लास में ऑनर्स की डिग्री हासिल की। वर्ष 1962 में मनमोहन सिंह ने ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय के नूफिल्ड कॉलेज से अर्थशास्त्र में डी.फिल किया। उन्होंने अपनी पुस्तक ‘भारत में निर्यात और आत्मनिर्भरता एवं विकास की संभावनाएं’ में भारत में निर्यात आधारित व्यापार नीति की आलोचना की थी।

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पीएम बनने से पहले ऐसा रहा था करियर

डॉ. मनमोहन सिंह ने पंजाब विश्वविद्यालय और दिल्ली स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में शिक्षक के रूप में अध्यापन करवाया। इस दौरान उन्होंने कुछ साल यूएनसीटीएडी सचिवालय में कार्य किया। उनकी कार्य के प्रति निष्ठा को देखते हुए उन्हें वर्ष 1987 और 1990 में जिनेवा में दक्षिण आयोग के महासचिव के रूप में नियुक्ति किया गया। वर्ष 1971 में डॉ. सिंह वाणिज्य मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के रूप में कार्य किया। वर्ष 1972 में वह वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार के रूप में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। डॉ. मनमोहन सिंह ने वित्त मंत्रालय के सचिव, योजना आयोग के उपाध्यक्ष, भारतीय रिजर्व बैंक के अध्यक्ष, प्रधानमंत्री के सलाहकार और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष के रूप में कार्य कर चुके हैं।

देश के 14वें प्रधानमंत्री रहे डॉ. मनमोहन सिंह

डॉ. मनमोहन सिंह भारत के वित्त मंत्री के पद पर वर्ष 1991 से 1996 तक रहे। इस दौरान उन्होंने भारत में आर्थिक सुधारों को प्रोत्साहन दिया। इसके लिए उन्होंने सुधारों की रूपरेखा, नीति और ड्राफ्ट तैयार किया। मनमोहन सिंह ने आर्थिक उदारीकरण को प्रोत्साहन दिया और भारतीय अर्थव्यवस्था को विश्व बाजार से जोड़ दिया। उन्होंने आयात और निर्यात के नियमों को आसान बना दिया। अपने राजनीतिक करियर में डॉ. मनमोहन वर्ष 1991 में राज्यसभा के सदस्य चुने गए।

डॉ. सिंह वर्ष 1998 से 2004 तक राज्यसभा में विपक्ष के नेता रहे थे। वर्ष 1996 में मनमोहन सिंह को लोकसभा चुनाव में पराजय का सामना करना पड़ा था। डॉ. सिंह ने वर्ष 2004 में हुए लोकसभा चुनावों के बाद 22 मई, 2004 को प्रधानमंत्री के रूप के शपथ ली और वह दूसरी बार 22 मई, 2009 को प्रधानमंत्री बने। उन्होंने पीएम के रूप में रोजगार गारंटी योजना, आधार कार्ड योजना, भारत व अमेरिका के बीच हुई परमाणु समझौता, शिक्षा का अधिकार आदि उल्लेखनीय कार्य किए।

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सिंह को मिले पुरस्कार और सम्मान

डॉ. मनमोहन सिंह को उनके कार्यों के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अनेक पुरस्कार व सम्मान मिले हैं।
उन्हें ब्रिटेन में अध्ययन के दौरान सेंट जॉन्स कॉलेज में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए वर्ष 1955 में राइट अवॉर्ड और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय द्वारा वर्ष 1956 में एडम स्मिथ पुरस्कार से सम्मानित​ किया गया। उन्हें वर्ष 1987 में देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। डॉ. सिंह को वर्ष 1993 और वर्ष 1994 में वित्त मंत्री पद पर रहते ‘एशिया मनी अवॉर्ड’ से सम्मानित किया गया।

मनमोहन को वित्त मंत्री के रूप में ही वर्ष 1994 में ‘यूरो मनी अवॉर्ड’ से नवाजा गया। वर्ष 1995 में उन्हें भारतीय विज्ञान कांग्रेस का जवाहर लाल नेहरू पुरस्कार प्रदान किया गया। डॉ. मनमोहन सिंह को जापानी निहोन किजई शिम्बुन एवं अन्य संघो द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। पुरस्कारों के अलावा उन्हें कैंब्रिज एवं ऑक्सफ़ोर्ड तथा अन्य कई विश्वविद्यालयों द्वारा मानद उपाधियां प्रदान की गई हैं।

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