हम को सबसे ज्यादा दुखी करती हैं दूसरों से हमारी उम्मीदें। जब हमारे आसपास के लोग हमारे हिसाब से नहीं चलते तो हम दुखी हो जाते हैं। जीवन में खुश रहने का फलसफा है कि हम दूसरों की गलतियों को इग्नोर करना सीख जाए। गलतियां हम भी करते हैं और हमारे अपने भी। हर इंसान गलती करेगा ही। प्रॉब्लम तब आती है जब हम उन गलतियों के लिए दूसरों को सजा देना चाहते हैं। किसी की गलती पर उससे रिश्ता तोड़ना बहुत आसान है। मगर किसी को माफ करना मुश्किल है। यकीन मानिए, अगर आपको माफ करने की कला आ गई तो आपको कोई दुखी नहीं कर सकता।
किसी की गलती को माफ करने के लिए बड़ा दिल चाहिए। अगर आप अपने दोस्तों और प्रियजनों को खोना नहीं चाहते तो आपके ये कला सीखनी होगी। किसी की गलती पर आपको ‘इट्स ओके’ बोलकर बात खत्म करनी होगी। अपनों को गलती का अहसास जरूर दिलाएं। यदि आप हर किसी की गलतियां ढूंढने बैठ जाएंगे तो आप अपनों का स्नेह निश्चित रूप पर खो देंगे। अगर आप दूसरों की छोटी—छोटी गलतियों को तूल देते हैं तो आपका दिमाग कभी शांत नहीं रहता। इसके उलट जब आप बड़ी गलती के लिए भी अपनों को माफ करने की हिम्मत रखते हैं तो आप खुद ही बड़े बन जाते हैं। दूसरों की नजरों में भी उठ जाते हैं।
यकीन मानिए किसी को सजा देने से आप भी उतने ही दुखी होंगे जितना आपका अपना होगा। वहीं किसी को माफ करके आपका मन जरूर शांत होगा। इससे सामने वाले को खुद ब खुद ही अपनी गलती का अहसास हो जाएगा। आज से सजा देने का काम ईश्वर पर छोडिए। जिंदगी बहुत छोटी है इसमें माफ करना सीख जाइए। ऐसा करके आप सारे रिश्तों में प्यार भर देंगे।