पहली महिला सीएम सुचेता कृपलानी ने लोक कल्याण समिति को दान कर दी थी अपनी संपत्ति

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Sucheta-Kriplani-Biography

भारतीय स्वतंत्रता सेनानी व देश की पहली महिला मुख्यमंत्री सुचेता कृपलानी की आज एक दिसंबर को 49वीं पुण्यतिथि है। वह स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ-साथ राजनीतिज्ञ भी थीं। सुचेता कृपलानी वर्ष 1963 से वर्ष 1967 तक उत्तर प्रदेश राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री बनी थी। उन्होंने देश की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। सुचेता और उनकी बहन सुलेखा दोनों भारत के बढ़ते स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने के लिए बेताब थीं।

एक दिलचस्प घटना का जिक्र सुचेता ने अपनी पुस्तक में किया। जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद प्रिंस ऑफ वेल्स ने दिल्ली का दौरा किया था। प्रिंस ऑफ वेल्स के सम्मान में उनके स्कूल की लड़कियों को कुडसिया गार्डन के पास ले जाया गया। मना करने की इच्छा के बावजूद, दोनों बहनें मना नहीं कर सकीं, व इससे उन्हें अपनी कायरता पर बहुत गुस्सा आया। इस अवसर पर जानिए सुचेता कृपलानी के जीवन के बारे में कुछ और अनसुनी बातें…

सुचेता कृपलानी का जीवन परिचय

स्वतंत्रता सेनानी सुचेता कृपलानी का जन्म 25 जून, 1908 को पंजाब के अंबाला (अब हरियाणा) में एक बंगाली ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता एक सरकारी डॉक्टर थे। उनके पिता का तबादला होता रहता था, इस वजह से उनकी प्रारंभिक शिक्षा कई विद्यालयों में हुई थी। बाद में उन्हें दिल्ली पढ़ने के लिए भेजा गया। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से इतिहास में मास्टर की डिग्री प्राप्त की। उनकी बड़ी बहन सुलेखा की अचानक तबीयत खराब होने से मृत्यु हो गईं। बाद में उनके पिता का भी देहांत हो जाने से वर्ष 1929 में उन पर परिवार की जिम्मेदारी आ गईं। आगे सुचेता बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में इतिहास की प्रोफेसर बनीं।

जे. बी. से शादी का परिवार व गांधीजी ने किया विरोध

सुचेता बीएचयू में प्रोफेसर थी, तब जे बी कृपलानी भी वहीं इतिहास के प्रोफेसर थे। जेबी ने देश की आजादी में भाग लेने के लिए असहयोग आंदोलन के दौरान अपनी नौकरी छोड़ दीं। जे. बी. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रमुख व्यक्ति थे। सुचेता ने भी नौकरी छोड़ी दी और गांधीजी के एक महिला संगठन से जुड़ गईं। वर्ष 1934 के दौरान बिहार में भयंकर भूकंप आया तो बतौर राहत कार्यकर्ता के रूप में सुचेता और जे बी बिहार गए। इस दौरान दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ने लगीं। उन्होंने जे.बी. से वर्ष 1936 में शादी कर लीं। जे. बी. सुचेता से बीस साल बड़े थे। उनकी शादी का दोनों परिवार वालों ने विरोध किया और साथ ही गांधीजी ने भी।

कृपलानी का स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान

सुचेता कृपलानी बचपन से ही देशभक्ति से प्रेरित थी, क्योंकि उनके पिता एक डॉक्टर होने के साथ देश की आजादी के लिए समर्पित थे। वह अपने पिता से काफी प्रभावित थी। बाद में आचार्य जे बी कृपलानी ने सुचेता को स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने के लिए प्रेरित किया था। सुचेता का परिचय भी उन्होंने ही करवाया था। वह भी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गईं। बाद में सुचेता भी 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान अरुणा आसफ अली, उषा मेहता और अन्य महिला नेताओं के साथ सबसे आगे रही थी। उन्हें कांग्रेस पार्टी के महिला विभाग की पहली प्रमुख होने का श्रेय भी जाता है।

दंगों के दौरान महात्मा गांधी के साथ मिलकर काम किया

देश विभाजन के समय सुचेता ने दंगों के दौरान महात्मा गांधी के साथ मिलकर काम किया। वह वर्ष 1946 में गांधीजी के साथ नोआखली की यात्रा पर साथ गई थी। वर्ष 1946 में उनका चुनाव संविधान सभा के सदस्य के रूप में हुआ। वर्ष 1949 में उन्हें संयुक्त राष्ट्र महासभा की प्रतिनिधि चुना गया था। सुचेता कृपलानी वर्ष 1952 में हुए पहले आम चुनाव में नई दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचित हुईं। उन्होंने लघु उद्योग राज्यमंत्री के रूप में कार्य किया। पांच साल बाद उन्हें उसी निर्वाचन क्षेत्र से फिर चुना गया।

देश की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं सुचेता

सुचेता कृपलानी ने वर्ष 1962 में उत्तरप्रदेश विधानसभा के चुनाव लड़े और वह कानपुर निर्वाचन क्षेत्र से जीत गईं। उन्हें श्रम, सामुदायिक विकास और उद्योग विभाग का कैबिनेट मंत्री बनाया गया। बाद में इसी साल उन्हें यूपी की मुख्यमंत्री बनाया गया। वर्ष 1967 में उन्होंने उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले से चौथी बार लोकसभा चुनाव लड़कर जीत हासिल कीं। वर्ष 1971 में सुचेता कृपलानी ने राजनीति से संन्यास ले लिया।

पहली महिला मुख्यमंत्री सुचेता कृपलानी का निधन

राजनीति से संन्यास लेने के बाद सुचेता कृपलानी अपने पति के साथ दिल्ली में रहने लगीं। उनके कोई संतान नहीं होने की वजह से उन्होंने अपनी सारी सम्पत्ति लोक कल्याण समिति को दान कर दीं। उन्होंने यहीं पर अपनी आत्मकथा ‘एन अनफिनिश्ड ऑटोबायोग्राफी’ लिखनी शुरू कीं, जो तीन भागों में में प्रकाशित हुईं। सुचेता कृपलानी का 1 दिसंबर, 1974 को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया।

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