राजधानी दिल्ली के जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय (जेएनयू) में रविवार देर शाम कुछ अज्ञात नकाबपोश बदमाश विश्वविद्यालय परिसर में घुस गए। वे अपने हाथों में डंडे और लोहे की रॉड लिए हुए थे। उन्होंने शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर रहे छात्र—छात्राओं और कई प्रोफेसरों की बेरहमी से पिटाई कर दी। इस हमले में 25 से ज्यादा घायल हुए थे। इस हमले में जेएनयू छात्र संघ की अध्यक्ष आइशी को सिर में गंभीर चोट आई है। हमले के घायलों को एम्स में भर्ती करवाया गया था जिन्हें सोमवार सुबह डिस्चार्ज कर दिया गया है।
जब यह हमला हुआ उस वक्त वामपंथी छात्र साबरमती ढाबे के पास एकत्रित होकर फीसवृद्धि को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। इस हिंसा के लिए वामपंथी और दक्षिणपंथी छात्र संगठनों ने एक-दूसरे पर आरोप लगाया है।
इस हमले के बाद राजनीतिक दलों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है और इस पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने इसे छात्रों की आवाज दबाने की कोशिश करार दिया है। वहीं दिल्ली के सीएम अरविन्द केजरीवाल ने कहा है कि इस सन्दर्भ में उन्होंने एलजी से बात की है और स्थिति को तुरंत काबू में किये जाने का अनुरोध किया है।
अधिकारियों ने सोमवार को बताया कि दंगा करने और सम्पति को नुकसान पहुंचाने के संबंध में अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
यूं शुरू हुआ विवाद
जेएनयू में जब से फीस में बढ़ोतरी की है तब से छात्रों द्वारा प्रशासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के बीच प्रशासन ने रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया आरंभ कर दी थी और इसकी अंतिम तारीख 5 जनवरी रखी। फीस वृद्धि को लेकर छात्रों ने सड़कों पर बार-बार विरोध प्रदर्शन आयोजित किया और केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा निकाला।
इसका विरोध करने वाले छात्रों ने शनिवार को ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए सबसे ज्यादा आवश्यक इंटरनेट और सर्वर के तार काट दिए, जिससे रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया ठप हो गई। उनकी इस हरकत पर जब कुछ छात्रों ने इस काम का विरोध किया तो कथित तौर पर उनके साथ मारपीट हुई और फिर फीस बढ़ोतरी के खिलाफ हो रहा प्रदर्शन एबीवीपी बनाम लेफ्ट में बदल गया।
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विश्वविद्यालय के लिए रविवार को ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन का आखिरी दिन था। लेकिन इन छात्रों के विरोध के परिणामस्वरूप अभी तक करीब 600 छात्र ही अपना रजिस्ट्रेशन करवा पाएं हैं, जबकि यहां आठ हजार से अधिक छात्र रजिस्ट्रेशन करवाते हैं। रजिस्ट्रेशन का आखिरी दिन होने की वजह से एबीवीपी के छात्र प्रशासन का सहयोग कर प्रक्रिया आगे बढ़ाना चाह रहे थे जबकि वामपंथी छात्र इसका लगातार विरोध कर रहे थे।