फिरोज खान अपनी पत्नी को धोखा देकर एयर होस्टेस को करने लगे थे डेट

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बॉलीवुड अभिनेता, फिल्म निर्माता-निर्देशक फिरोज खान की आज 25 सितंबर को 84वीं बर्थ एनिवर्सरी है। उनका नाम हिंदी सिनेमा में 70-80 के दशक के सबसे स्टाइलिश हीरो में शामिल है। फिरोज ख़ान को बॉलीवुड का ‘काऊब्वॉय’, ‘फैशन आइकन’ और ‘पूरब का क्लिंट ईस्टवुड’ कहा जाता था। उनका असल नाम जुल्फिकार अली शाह खान था। फिरोज का जन्म 25 सितंबर, 1939 को अफ़ग़ानिस्तान विस्थापित एक पठान परिवार में भारत के बेंगलुरु में हुआ था। उनके पिता सादिक अली खान तनोली अफ़ग़ानिस्तान के गज़नी प्रांत के रहने वाले थे, जबकि उनकी मां एक ईरानी महिला थीं। फिरोज का परिवार पश्तून जनजाति की तनोली जाति से आता है। इस खास अवसर पर जानिए उनके जीवन के बारे में कुछ अनसुनी बातें…

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12वीं के बाद एक्टर बनने चले आए थे मुंबई

फिरोज खान ने बेंगलुरु के बिशप कॉटन बॉयज स्कूल और सेंट जर्मेन हाई स्कूल से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की थी। इसके बाद उन्होंने आगे कभी कॉलेज की पढ़ाई नहीं की। उनके पांच भाई अब्बास खान, शाहरुख शाह अली खान, समीर खान, अकबर खान और संजय खान थे। उनकी दो बहनें खुर्शिद शाहनावर और दिलशाद बेगम शेख थीं। फिरोज खान अपनी स्कूलिंग की पढ़ाई करने के बाद एक्टर बनने मुंबई आ गए थे। उन्होंने मुंबई में वाडिया एंड ब्रदर्स के यहां 300 रुपए महीने में नौकरी की और जिस मकान में वो रहते थे, उसका किराया भी 300 रुपए ही था। ज्यादा पैसे कमाने के लिए वो क्लब में स्नूकर के खेल में बेट्स लगाते थे।

वाडिया एंड ब्रदर्स ने ही फिरोज खान को अपनी फिल्म ‘रिपोर्टर राजू’ के लिए 1000 रुपए प्रतिमाह पर साइन कर लिया था। हालांकि फिरोज का एक्टिंग डेब्यू वर्ष 1960 में हुआ था। उन्हें को अपनी पहली फिल्म ‘दीदी’ में सेकंड लीड रोल मिला था। इसके बाद जल्द ही उन्हें एक इंग्लिश फिल्म साइन कर ली। इसका फिल्म का नाम था ‘टारजन गोज टु इंडिया’। इस फिल्म में उनके अपोजिट सिमी ग्रेवाल थी। फिरोज ने इसमें प्रिंस रघु कुमार का रोल प्ले किया था। वर्ष 1962 में आई यह फिल्म ज्यादा नहीं चल पाईं।

फिल्म ‘ऊंचे लोग’ से बनाई अपनी अलग पहचान

पहली फिल्म करने के बाद फिरोज खान को अगले पांच साल तक ज्यादातर फिल्मों में सेकंड लीड रोल मिल रहे थे। साल 1965 में उन्हें फणी मजूमदार की फिल्म ‘ऊंचे लोग’ में काम करने का मौका मिला। इस फिल्म में फिरोज खान के सामने अशोक कुमार और राजकुमार जैसे बड़े कलाकार थे, लेकिन अपने शानदार अभिनय कौशन से वे दर्शकों पर अपनी छाप छोड़ने में सफल रहे। उसी साल उनकी एक और फिल्म ‘आरजू’ रिलीज हुई। इस फिल्म में उन्होंने राजेन्द्र कुमार और साधना के साथ काम किया था।

वर्ष 1969 में फिरोज की फिल्म ‘आदमी और इंसान’ रिलीज हुई। यह फिल्म उनके करियर के लिए टर्निंग प्वाइंट साबित हुई। फिरोज खान को इस फिल्म के लिए फिल्मफेयर का सर्वश्रेष्ठ सहायक एक्टर का पुरस्कार मिला। उन्होंने अपने भाई संजय खान के साथ भी कुछ फिल्मों में काम किया, जिसमें ‘उपासना’, ‘मेला’, ‘नागिन’ जैसी हिट फिल्में भी शामिल हैं।

बतौर डायरेक्टर-प्रोड्यूसर ‘अपराध’ से की शुरुआत

फिरोज खान की बतौर डायरेक्टर-प्रोड्यूसर पहली फिल्म वर्ष 1971 में आई ‘अपराध’ थी। इस फिल्म में उनके अपोजिट मुमताज़ ने काम किया था। यह भारत की पहली ऐसी फिल्म ​थी, जिसमें जर्मनी में होने वाली कार रेसिंग के सीन दिखाए गए थे। इसके बाद फिरोज की दूसरी फिल्म वर्ष 1975 में आई ‘धर्मात्मा’ थीं। यह इंग्लिश फिल्म ‘द गॉडफादर’ से प्रभावित थी। फिल्म में डायरेक्टर, प्रोड्यूसर और लीड एक्टर फिरोज खान ही थे। इस फिल्म की पूरी शूटिंग ​अफ़ग़ानिस्तान में हुई थी।

इसमें उनके साथ रेखा, हेमा मालिनी, प्रेमनाथ और डैनी अहम भूमिकाओं में थे। बतौर प्रोड्यूसर यह फिल्म उनके लिए बड़ी हिट साबित हुई। उन्होंने वर्ष 1974 में एक पंजाबी फिल्म ‘भगत धन्ना जाट’ में भी काम किया था। वर्ष 1980 में रिलीज हुई फिल्म ‘कुर्बानी’ फिरोज खान की सबसे बड़ी हिट साबित हुई। इसमें फिरोज और जीनत अमान के साथ ही उनके सबसे करीबी दोस्त विनोद खन्ना भी लीड रोल में थे। इस फिल्म में उन्होंने पाकिस्तानी पॉप सिंगर नाजिया हसन को ब्रेक दिया था। इस फिल्म में नाजिया का गाया एक गाना ‘आप जैसा कोई मेरी जिंदगी में आए, तो बात बन जाए’ लंबे समय तक लोगों के बीच हिट रहा।

बेटे को दो बार लॉन्च किया लेकिन नहीं मिली सफ़लता

वर्ष 1988 में फिरोज खान ने अपने बेटे फरदीन खान को बॉलीवुड में लॉन्च करने के लिए फिल्म ‘प्रेम अगन’ का निर्माण किया। इस फिल्म में फरदीन के अपोजिट मेघना कोठारी थीं, लेकिन यह फिल्म फ्लॉप रही। हालांकि, इस फिल्म के लिए फरदीन को बेस्ट मेल डेब्यू का फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला था। फिरोज ने बेटे को स्थापित करने की एक और कोशिश करते हुए फिल्म ‘जानशीं’ बनाई। वर्ष 2003 में आई इस फिल्म को उन्होंने फिरोज ने डायरेक्ट भी किया और एक्टिंग भी की। लेकिन यह फिल्म भी नहीं चल पाईं। वर्ष 2007 में आई ‘वेलकम’ उनकी आखिरी ऐसी फिल्म थी, जिसमें फिरोज खान बतौर एक्टर नजर आए। इसमें अक्षय कुमार, नाना पाटेकर, अनिल कपूर जैसे कलाकारों ने काम किया था। यह फिल्म सुपरहिट साबित हुई।

5 साल तक डेट के बाद सुंदरी से की शादी

फिरोज खान को देर रात तक पार्टियां करने का शौक था। उनकी पार्टी में बॉलीवुड के बड़े-बड़े सितारे शामिल हुआ करते थे। ऐसी ही एक पार्टी के दौरान फिरोज की मुलाकात बाद में उनकी पत्नी बनी सुंदरी से हुई। 5 साल तक डेट करने के बाद फिरोज और सुंदरी ने वर्ष 1965 में शादी कर ली थी। इन दोनों के दो बच्चे बेटी लैला और बेटा फरदीन खान हुए। उस वक़्त ऐसी भी खबरें आईं कि शादी के कुछ ही सालों बाद सुंदरी को पता चला कि फिरोज किसी लड़की को डेट कर रहे हैं।

वह लड़की एयरहोस्टेस ज्योतिका धनराजगिर थी। ज्योतिका के पिता राजा महेंद्रगिर धनराजगिर थे। पहले तो फिरोज की पत्नी सुंदरी ने अपने पति को समझाने की खूब कोशिशें की, लेकिन जब वो नहीं माने तो दोनों एक ही घर में अलग-अलग रहने लगे। वहीं, जब ज्योतिका ने शादी की बात की तो फिरोज खान ने उनसे मना कर दिया। ज्योतिका को फिरोज के इस रवैये से बड़ा झटका लगा और वो लंदन में शिफ्ट हो गईं। साल 1985 में शादी के 20 साल बाद फिरोज खान और सुंदरी के बीच भी तलाक हो गया।

फिल्म ‘ताज महल’ के प्रमोशन के लिए गए थे पाकिस्तान

पाकिस्तान ने फिरोज खान के अपने यहां आने पर पाबंदी लगा दी गई थी। बात साल 2006 की है। फिरोज अपने भाई अकबर खान की फिल्म ‘ताज महल’ के प्रमोशन के लिए पाकिस्तान गए थे। वहां पर एक महफिल में उनकी पाकिस्तानी सिंगर और एंकर फ़क्र ए आलम से कहासुनी हो गई थी। कहा जाता है कि फिरोज ने हिंदुस्तान की तारीफ करते हुए कह दिया कि हमारे यहां हर कौम तरक्की कर रही है।

वहीं, इस्लाम के नाम पर बना पाकिस्तान पिछड़ रहा है। इसके अलावा उन्होंने हिंदुस्तान की तारीफ़ में कई बातें पाकिस्तान में कह डालीं। इसके बाद तत्कालीन पाकिस्तानी राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ ने पाक हाई कमिश्नर को निर्देश दिया गया कि इस शख्स को आगे कभी पाकिस्तान का वीजा न दिया जाए।

आखिरी वक़्त में मुंबई का मोह छोड़ दिया

ज़िंदगी के आखिरी वक़्त में फिरोज खान ने मुंबई का मोह छोड़ दिया था। वे अपने बेंगलुरु के बाहरी हिस्से में बने फॉर्म हाउस में समय बिताया करते थे। उम्र के इस पड़ाव पर उन्हें कैंसर डायग्नोस हो गया था। उनका लंबे वक़्त तक मुंबई में इलाज चला, लेकिन जब डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए तो वापस अपने फॉर्म हाउस लौट गए। साल 2009 में 27 अप्रैल को 69 वर्ष की उम्र में फिरोज खान ने अपने फॉर्म हाउस पर आखिरी सांस लीं।

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