अगर FATF समीक्षा दल ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाला तो अर्थव्यवस्था पर होगा बुरा असर

Views : 5121  |  0 minutes read

पाकिस्तान में मिली रही आतंकी संगठनों को आर्थिक सहायता पर शिकंजा कसने के लिए फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की टीम सोमवार को इस्लामाबाद पहुंच गई। एफएटीएफ का कार्य दुनिया भर के आतंकी संगठनों और आपराधिक गिरोहों के आर्थिक क्रियाकलापों पर नजर रखना है।

साथ ही यह संगठन इन मानव हितों के खिलाफ आपराधिक प्रवृतियों को बढ़ावा देने के लिए धन मुहैया करने वाले देशों के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति करता है।

एफएटीएफ ने आतंक के गढ़ समझे जाने वाले पाकिस्तान को जून 2018 से ग्रे लिस्ट में डाल रखा है और ब्लैक लिस्ट में डालने की चेतावनी दी है।

एफएटीएफ ने पाकिस्तान से जैश-ए-मुहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा, जमात-उद-दावा, हक्कानी नेटवर्क आदि संगठनों की आर्थिक सहायता ने देने को कहा है।

पर पाकिस्तान है कि उसके कानों पर जू तक नहीं रेंगती और हर बार वह वही गलती दोहरा रहा है। जिसके कारण पाकिस्तान को कई बार ब्लैक लिस्ट में डालने की चेतावनी भी दी है।

इससे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर सीधा असर पड़ेगा वैसे भी पाकिस्तान के हालत पहले से काफी खस्ता है। पाकिस्तान के साथ व्यापार करने की इच्छुक अंतरराष्ट्रीय कंपनियां, बैंक और ऋण देने वाली अन्य संस्थाएं वहां निवेश करने से पहले कई बार सोचेंगी। पाकिस्तान के लिए भी विदेश निवेश लाना काफी मुश्किल हो जाएगा।

ये व्यक्ति है संगठन के सदस्य

पाकिस्तान में आतंकियों को मिलने वाली आर्थिक सहायता की समीक्षा के लिए पहुंचे दल में न्यू स्कॉटलैंड यार्ड के इयान कॉलिंस, अमेरिका के वित्त विभाग के वरिष्ठ अधिकारी जेम्स प्रसिंग, मालदीव के वित्तीय खुफिया विभाग के अधिकारी अशरफ अब्दुल्ला, इंडोनेशिया के वित्त मंत्रालय के अधिकारी वाह्यू हर्नवान, चीन की पीपुल्स बैंक के अधिकारी जोंग जिंग्यान और तुर्की के कानून मंत्रालय के अधिकारी मुस्तफा निकमेद्दीन आदि शामिल हैं।

ये विशेषज्ञ आतंकी संगठनों के खिलाफ पाकिस्तान की कार्रवाई की समीक्षा करेंगे। इसके बाद तय करेंगे कि पाकिस्तान को एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में बनाए रखा जाए या हटाया जाए।

Financial Action Task Force, FATF

वित्तीय कार्रवाई कार्यदल एक अन्तरसरकारी संस्था है। इसकी स्थापना 1989 ई. में की गई, शुरुआत में यह काले धन को वैध बनाने (मनी लान्डरिंग) को रोकने से सम्बन्धित नीतियाँ बनाने का कार्य करती थी।

लेकिन वर्ष 2001 में इसके कार्यक्षेत्र को विस्तृत करते हुए इसे दुनियाभर में आतंकियों को धन मुहैया कराने के विरुद्ध नीतियाँ बनाने की जिम्मेदारी भी सौंपी गई।

इसका सचिवालय पेरिस (फ्रांस) में स्थित आर्थिक सहयोग और विकास संगठन के मुख्यालय में ही है।

COMMENT