28 फरवरी को जब केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जमात-ए-इस्लामी जम्मू और कश्मीर पर “उग्रवादियों के साथ निकट संपर्क” के आधार पर प्रतिबंध लगा दिया तो पुलिस और मजिस्ट्रेटों ने कई जमात-ए-इस्लामी कार्यालयों को सील कर दिया और फलाह-ए-आम ट्रस्ट( FAT) द्वारा चलाई जाने वाली स्कूलों को नोटिस भी जारी किए और उन्हें बंद करने के लिए कहा गया था।
बाद में, सरकार ने एक क्लेरिफिकेशन जारी किया कि इन स्कूलों को बंद नहीं किया जाएगा। फलाह-ए-आम (सभी के लिए कल्याण) जमात-ए-इस्लामी द्वारा स्थापित एक ट्रस्ट है जो सरकार के साथ 31 जुलाई, 1972 की संख्या 169/5/72 के तहत पंजीकृत है।
एफएटी के संविधान का अनुच्छेद 4 इसे “शिक्षा और मानव जाति के लिए सेवा” के लिए “गैर-राजनीतिक” निकाय मानता है। जबकि अनुच्छेद 3 में “किसी भी भेदभाव के बिना समाज के सभी रंगों से छात्रों को शिक्षित करने के लिए” शैक्षिक संस्थान खोलने की सूची है।
1972 से पहले, जमात-ए-इस्लामी पहले से ही कई स्कूलों का संचालन कर रहा था जिसे उसने FAT को सौंप दिया था। नए स्कूल भी ट्रस्ट के तहत आ रहे हैं एफएटी आज घाटी में 300 सहित लगभग 350 मध्य और उच्च विद्यालयों को नियंत्रित करता है। एफएटी अधिकारियों का दावा है कि 1 लाख के करीब छात्र नामांकित हैं और 5,000 से अधिक शिक्षक लगे हुए हैं।
अब अधिकारियों का कहना है कि नोटिस जारी किए गए थे क्योंकि कुछ अधिकारियों ने जमात-ए-इस्लामी पर सरकार के आदेश की गलत व्याख्या की थी। वास्तव में 1990 में, जब तत्कालीन राज्यपाल प्रशासन ने जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध लगा दिया था तो उसने एफएटी पर भी प्रतिबंध लगा दिया था।
हजारों FAT शिक्षक सरकारी सर्विस दे रहे थे। एफएटी अदालत में गया और प्रतिबंध को फिर पलट दिया गया। उसके बाद एफएटी ने अपने स्कूलों को मोहल्ला और ग्राम प्रबंधन समितियों को सौंप दिया जो अब इनमें से अधिकांश को मैनेज करते हैं जबकि एफएटी सीधे दो दर्जन से कम चलता है।
एफएटी स्कूल राज्य के शिक्षा विभाग और स्कूल बोर्ड द्वारा निर्धारित NCERT कोर्स को फोलो करते हैं। उनके पास इस्लामिक स्टडीज और अरबी के लिए एक अलग वर्ग भी है और सरकारी स्कूलों से भी दो दशक से पहले प्राथमिक स्तर पर अंग्रेजी की शिक्षा दी जाती रही है।