जब से 17वीं लोकसभा के चुनावों की घोषणा हुई है तब से लोगों में आगामी सरकार और देश की राजनीति के चर्चे होने लगे हैं। चुनावी माहौल में सभी राजनीतिक दल अपनी तैयारियों को अंज़ाम देने में लगे हुए हैं। इस बार के आम चुनाव को देश का अब तक सबसे बड़ा चुनावी महायुद्ध माना जा रहा है। एक और जहां मोदी सरकार एक बार फिर से सत्ता में आना चाहती है, वहीं दूसरी और कांग्रेस सत्ता में आने के लिए सभी प्रमुख दलों के साथ गठबंधन करने में जुटी है। देश या राज्य में किसकी सरकार बनानी है, लोकतंत्र में यह फैसला जनता को ही करना होता है। यानी जनता ही जर्नादन है। चुनावी माहौल के बीच कई ऐसे लोगों के चर्चे होने लगे हैं जो कभी चुनाव तो नहीं जीते हैं मगर हर बार चुनाव में उतरना उनकी फ़ितरत में शामिल है। आज हम ऐसे ही एक संत की बात कर रहे हैं जो पिछले लंबे समय से चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन उन्हें अभी तक सफलता नहीं मिली है। इनका नाम है फक्कड़ बाबा रामायणी। आइए जानते हैं इस शख़्स के बारे में..
चुनाव हारकर भी जाना पहचाना नाम बन चुका है फक्कड़ बाबा
जब देश या उत्तर प्रदेश में चुनाव की बात हो और संत फक्कड़ बाबा रामायणी के चर्चे ना हो, ऐसा हो ही नहीं सकता। फक्कड़ बाबा के नाम कोई जीत तो दर्ज नहीं है लेकिन हार के वे रिकॉर्ड बना चुके हैं। उत्तर प्रदेश के मथुरा में रहने वाले फक्कड़ बाबा 16 बार चुनाव में हार चुके हैं, इसके बावजूद उनका उत्साह आज भी कम नहीं हुआ है। यह संत 17वीं बार भी चुनावी रण में उतरने के लिए तैयार है। यह संयोग ही है कि देश में 17वीं लोकसभा के लिए चुनाव होने हैं और फक्कड़ बाबा भी 17वीं बार चुनाव लड़ने जा रहे हैं। बाबा ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव को मिलाकर अब तक कुल 16 चुनाव लड़े हैं। मथुरा में हर घर के छोटे से बड़े सदस्य के लिए संत फक्क्ड़ बाबा एक जाना-पहचाना नाम है।
साल 1976 से लगातार निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं फक्कड़ बाबा
संत फक्कड़ बाबा रामायणी ने साल 1976 से लेकर अब तक हुए सभी लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़े हैं। यह बात अलग है कि उन्हें एक भी बार जीत नसीब नहीं हुई। बाबा कहते हैं कि पहले चुनाव में मात्र 2000 रुपए खर्च हुए थे। एक भक्त की गाड़ी से ही चुनाव प्रचार किया था। लेकिन बाबा अपनी जमानत बचाने में भी सफल नहीं सके थे। दरअसल, लगातार चुनाव लड़ने के पीछे की कहानी ये है कि फक्कड़ बाबा के गुरु निश्चलानंद सरस्वती ने उन्हें 20वीं बार में चुनाव जीतने का आशीष दिया था। अपने गुरु के आदेश की पालना करते हुए वे 1976 से अब तक 8 लोकसभा और आठ बार विधानसभा का चुनाव लड़ चुके हैं। बाबा को अपने गुरु की उस बात पर पूरा यक़ीन है कि वे बीसवीं बार में चुनाव जरुर जीतेंगे। लिहाज़ा वे तब से लगातार चुनाव लड़ते आ रहे हैं। चुनाव लड़ने के लिए भक्तों की ओर से बाबा को चंदा भी जमा किया जा रहा है। बाबा के भक्त खुद आकर यह चंदा दे रहे हैं।
11 वर्ष की उम्र में मथुरा आ गए थे, 32 हजार घरों में कर चुके हैं पाठ
संत फक्कड़ बाबा रामायणी का जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले स्थित बिठूर गांव में हुआ। वे 11 वर्ष की उम्र में ही मथुरा आकर साधू बन गए। इनके परिवार के लोग कई बार बाबा को अपने साथ ले जाने के लिए भी मथुरा आए लेकिन इस संत ने यह करते हुए इनकार कर दिया कि वे जब तक जीयेंगे ब्रज को नहीं छोड़ेंगे। यूं मानिए बाबा को मथुरा से मोह हो गया है। फिलहाल 75 वर्षीय फक्कड़ बाबा लंबे समय से मथुरा के गोविन्दनगर स्थित गलतेश्वर महादेव मंदिर में रहकर भगवान की पूजा-सेवा करते हैं। फक्कड़ बाबा के मुताबिक़ वे अब तक 32 हजार घरों में रामचरित मानस और 16 हजार घरों में सुंदरकांड पाठ कर चुके हैं।
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चुनावी तैयारियों में जुटे बाबा का कहना है कि मैं इस बार भी लोकसभा चुनाव जरूर लडगा। लोकसभा चुनाव के लिए हर बार की तरह इस बार भी अखिल भारतीय रामराज्य परिषद ने फक्कड़ बाबा रामायणी को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव देवेंद्र चतुर्वेदी बताते हैं कि बाबा नामांकन प्रक्रिया शुरू होने के पहले दिन यानी 19 मार्च को अपना पर्चा भरेंगे। इससे पहले फक्कड़ बाबा विश्राम घाट पर यमुना का पूजन करेंगे। इसके बाद वे समर्थकों के साथ कलक्ट्रेट पहुंचेंगे। गौरतलब है कि संत फक्कड़ बाबा रामायणी की तरह एक शख़्स जोगेंदर सिंह था। वह 1962 से 1998 तक 25 बार चुनाव हारा था। 1998 में उनकी मौत हो गई थी। जोगेंदर को लोग प्यार से धरती पकड़ कहकर बुलाते थे।