देशभक्ति की मिसाल: तैरने वाली ईंट बना चुके इस युवा वैज्ञानिक ने नासा से मिले रिसर्च का ऑफर ठुकरा

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अमेरिकी स्पेस एंजेसी नासा से अगर किसी को अनुसंधान और शोध करने का प्रस्ताव मिले तो शायद उसे कोई नहीं ठुकराएगा। लेकिन देश के एक होनहार युवा वैज्ञानिक ने नासा से मिले अनुसंधान और शोध का ऑफर ठुकराकर देश में ही रहकर काम करने की ठानी है। गोपालजी नाम के इस युवा ने सिर्फ देश सेवा के कारण ही इतना बड़ा प्रस्ताव ठुकरा दिया। इस प्रकार गोपालजी ने देश के प्रति अपना समर्पण भाव दिखा कर देशभक्ति की मिसाल पेश की है।

गोपालजी देश के होनहार युवा वैज्ञानिक है जो बिहार के भागलपुर के निवासी हैं। गोपालजी ने अब तक 10 बड़े आविष्कार किए हैं, जिनसे उन्हें काफी ख्याति मिली है। इन आविष्कारों में केले से बिजली उत्पादन और पानी पर तैरने वाली ईंट का निर्माण बहुत चर्चित रहे ​थे।

छोटी उम्र में बड़े कारनामें

गोपालजी बचपन से ही काफी प्रतिभावान बालक रहे हैं। वह 13 वर्ष की उम्र से ही नए-नए आविष्कार करने में लग गया। जिनकी वजह से उसे 14 वर्ष की उम्र में देश के सबसे युवा वैज्ञानिक के खिताब से नवाजा गया।

उनकी वैज्ञानिक उप​लब्धियों को देखकर ही नासा ने उसे अपने यहां अनुसंधान और शोध करने का प्रस्ताव दिया। लेकिन देश प्रेम में गोपाल ने नासा से नहीं जुड़ने का फैसला लिया। फिलहाल गोपाल देहरादून के लैब में अनुसंधान में लगे हैं। वह आई स्मार्ट के ब्रांड अंबेसडर भी है।

गोपालजी के उपरोक्त आविष्कारों के अलावा गोपोनियम एलॉय, बनाना बायो सेल, पेपर बायो सेल, गोपा अलस्‍का, लीची वाइन, हाइड्रोइलेक्ट्रिक बायो सेल, जी स्‍टार पाउडर, सोलर मील शामिल है। इसमें दो बड़े आविष्‍कारों का उन्‍होंने पेटेंट भी हासिल कर लिया है।

वर्ल्ड साइंस फेयर में होंगे मुख्य वक्ता

नासा से मिले इस ऑफर छोड़ने पर उन्होंने कहा कि मैं नासा का ऑफर छोड़कर देश के युवाओं के लिए बेहतर प्लेटफॉर्म के तलाश में जुटा हूं। देश के जिन युवाओं में विज्ञान के क्षेत्र में कुछ कर गुजरने की क्षमता दिखेगी, उनकी प्रतिभा को निखारने और उनको मंजिल तक पहुंचाने की पूरी कोशिश करूंगा।

बता दें कि अप्रैल महीने में अबुधाबी में होने वाले दुनिया के सबसे बड़े साइंस फेयर में गोपाल जी मुख्य वक्ता के तौर पर आमंत्रित किए गए हैं। जहां वह दुनियाभर के 5 हजार से अधिक वैज्ञानिकों को संबोधित करेंगे।

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