राजस्थान में कल का दिन वोटिंग के लिए मुकर्रर किया गया है। बीजेपी-कांग्रेस के आने-जाने के खेल में उछलता राजस्थान एक बार फिर अपनी नई सरकार चुनने के लिए तैयार है। परंपरागत वोट, मनपसंद नेताजी, फेवरेट पार्टी जैसे पैरामीटरों पर राजस्थान वासी अमूमन हर बार वोट डालते हैं। हर बार चुनावों में लहर बदलने का दावा या तो मीडिया करता है या विपक्षी पार्टियां। वैसे इस बार राजस्थान के चुनाव थोड़े अलग होने के कयास लगाए जा रहे हैं जहां बीजेपी-कांग्रेस के अलावा बागियों की भीड़ भी शामिल है।
पिछले लगभग 1 महीने से धुंआधार चुनाव प्रचार के दौरान आपके जनप्रतिनिधि ऐसी-ऐसी जगहों पर देखे गए जहां आप उन्हें देखे जाने की उम्मीद नहीं कर सकते हैं। शिकायत करना हर दूसरे इंसान का स्वभाव होता है लेकिन यहां वो सिर्फ चुनाव आने पर ही दिखाई देता है। ऐसे में पिछले 5 साल आप कहां थे, आज आपको हमारी सुध लेने की याद आई, आ गए वोट मांगने, बस वोट चाहिए फिर गायब हो जाना जैसी गालियों के अंदाज में कही जाने वाली सारी बातें सुनने के बाद भी नेताजी वोट के लिए बर्तन मांजना, झाड़ू लगाना, जमीन पर बैठकर साधारण खाना खाना जैसे हर वो काम करते हैं जो मतदाता से अपनापन बना सकें।
ऐसे में 5 साल के बाद आपके जन प्रतिनिधि ने तो वोट मांगने के लिए अपनी दिन रात एक कर दी और आने वाले 5 सालों के विकास का एक लुभावना सा वादा भी आपको थमा गया लेकिन एक मतदाता होने के नाते अब आपकी बारी है। अब आपको निकलना है, अब आपको बोलना है।
एक मतदाता होने के नाते…कल आपको पहली बार सिस्टम का हिस्सा होने का मौका मिलेगा, पहली बार आप अपनी शिकायतों का हिसाब मांगेंगे, पहली बार सिस्टम आपकी आवाज सुनेगा, पहली बार आपकी कीमत समझी जाएगी, पहली बार आप इस महान लोकतंत्र के सच्चे भागीदार बनेंगे। आने वाले 5 साल आपको अपने 1 वोट की कीमत कब-कब अदा होगी इस बात का पता रहेगा।
जब आप वोट डालने जाएंगे तब आपको अपने अधिकार की ताकत का अंदाजा होगा, आपको इस लोकतंत्र की खूबसूरती दिखाई देगी, आपको इस सिस्टम का हिस्सा होने पर गर्व महसूस होगा।
इसलिए अच्छा चुनें, सच्चा चुनें, जो आने वाले 5 साल वादे पूरे करें ना कि वादाखिलाफी।