डीएनडी एक्टिवेट करने के बाद भी उपभोक्ताओं को मिल रहे अनचाहे मैसेज और कॉल

Views : 2203  |  3 minutes read
Unwanted-Calls-and-Messages

कंपनियों के रोजाना अनचाहे मैसेज और कॉल से करोड़ों टेलीकॉम उपभोक्ता परेशान हैं। इनमें लाखों उपभोक्ता ऐसे हैं जिन्होंने अपने नंबर पर डू नॉट डिस्टर्ब यानि DND सर्विस को एक्टिवेट किया हुआ है। बावजूद इसके टेलीकॉम उपभोक्ताओं को तमाम तरह के अनचाहे प्रमोशनल मैसैज और कॉल से होने वाली परेशानी से जूझना पड़ रहा है। कई यूजर्स भले ही इस परेशानी का सामना नहीं कर रहे होंगे, लेकिन हैरानी की बात ये है कि जिनके साथ ऐसा हो रहा है उनकी संख्या करोड़ों में हैं। एक सर्वे की जानकारी में यह बात सामने आई है कि डीएनडी चालू करने वाले 74 फीसदी लोगों के पास अनचाहे मैसेज और कॉल आ रहे हैं।

25 फीसदी अनचाहे कॉल-मैसेज मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर के

ऑनलाइन प्लेटफॉर्म लोकलसर्कल्स की एक ताज़ा रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि ट्राई की डीएनडी लिस्ट में नाम होने के बावजूद 74 फीसदी लोगों को अनचाहे मैसेज और कॉल मिल रहे हैं। सर्वे की रिपोर्ट में कहा गया है कि 26 फीसदी लोगों के पास जितने अनचाहे मैसेज और कॉल जाते हैं, उनमें 25 फीसदी मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर के ही होते हैं। लोकलसर्कल्स ने यह सर्वे देश के 324 जिलों के 35,000 लोगों पर किया है। आपको बता दें कि DND एक्टिवेट करवाने के बाद भी यदि किसी उपभोक्ता के पास इस तरह के मैसेज आ रहे हैं तो इसे रोकने का कोई आसान तरीका फिलहाल नहीं है। हालांकि, इससे निपटने के लिए एक-एक करके इन मैसेज और कॉल करने वालों के नंबरों को ब्लॉक किया जा सकता है। इससे उसी नंबर से कॉल-मैसेज नहीं आएंगे।

अनचाहे कॉल-मैसेज को रोकने की तैयारी कर रही सरकार

मोबाइल उपभोक्ताओं को हो रही परेशानी को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार इस तरह के अनचाहे मैसेज और कॉल को रोकने के लिए नया नियम तैयार कर रही है। इसके तहत मोबाइल उपभोक्ताओं को एक सीमित संख्या में ही अनचाहे कॉल और मैसेज भेजे जा सकेंगे। यदि किसी कंपनी द्वारा इस नियम की अवहेलना की जाती है तो उस कॉल या मैसेज भेजने वाले पर 1,000 रुपये से लेकर 10,000 रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकेगा। उधर, ट्राई भी इस संबंध में समय-समय पर टेलीकॉम कंपनियों को नियमों का पालन करने के लिए निर्देश देता रहा है।

Read Also: अनचाहे कॉल और मैसेज के खिलाफ नियमों का सख्ती से पालन होंः दिल्ली हाईकोर्ट

COMMENT